Thursday, 7 April 2016
सांसद सदस्यत्व खतरे में आते ही सत्यपाल सिंह ने अदा की बकाया और जुर्माने की रकम
लोकसभा चुनाव लड़ने के दौरान सरकारी देनदारी की जानकारी छिपाते हुए उसे अदा न करने से भाजपा के सांसद और मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त सत्यपाल सिंह का संसद सदस्यता खतरे में आ गई थी। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने किए भांडाफोड़ के बाद सत्यपाल सिंह ने चुपचाप बकाया रकम रु 53,800/- अदा करने की जानकारी मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय ने अनिल गलगली को दी हैं।
मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय से आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने जानकारी मांगी थी कि पूर्व पोलिस आयुक्त और भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह ने उनपर बकाया रकम कब अदा की हैं। मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय ने अनिल गलगली को बताया कि सत्यपाल सिंह ने दिनांक 21 मार्च 2016 को चेक के जरिए रु 53,800/- इतनी रकम अदा की हैं। सत्यपाल सिंह ने चेक के साथ भेजे हुए पत्र में आगे से किसी भी तरह का पत्राचार उनके दिल्ली स्थित पते पर करने का अनुरोध भी किया हैं। लोकसभा का सदस्यत्व खारिज होने के डर वश ही सत्यपाल ने बकाया रकम और जुर्माना अदा किया हैं।
मुंबई के पाटलीपुत्र सहकारी गृहनिर्माण संस्था में स्थित फ्लैट सत्यपाल सिंह ने किराए पर तो दिया लेकिन आज तक रु 48,420/- इतनी जुर्माना की रकम अदा नही की और सरकारी बकाया देनदारी की जानकारी को उम्मीदवारी अर्जी पेश करने के दौरान सार्वजनिक नही किया। असल में 10 वर्षों से फ्लैट को किराए पर देकर नियमों का उल्लंघन तो किया और फ्लैट को बिना अनुमति किराए पर देकर लाखों रुपए की कमाई भी की। सत्यपाल के ही फ्लैट में ही 2 जून 2014 को सेक्स रैकेट का भांडाफोड़ हुआ था। अनिल गलगली की शिकायत के बाद सत्यपाल सिंह संकट में आ गए है और उनकी संसद की सदस्यता रद्द
होने के मार्ग पर हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने लोकसभा अध्यक्ष, प्रधानमंत्री और चुनाव आयोग के पास किए गए शिकायत में सांसद सत्यपाल सिंह ने कैसे जनता और चुनाव आयोग को उल्लू बनाया हैं ? इसकी विस्तृत जानकारी दी हैं। पुलिस आयुक्त पद का इस्तीफा देकर सत्यपाल सिंह ने 2014 में लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश स्थित बागपत सीट से लड़ा था। चुनाव आयोग ने जारी किए हैण्ड बुक में उम्मीदवारों को जिन 5 चीजों का ब्यौरा देने को आदेशित किया था उसमें अपराधिक मामले, प्रलंबित मामले, संपत्ति, देनदारी और शैक्षणिक योग्यता का समावेश हैं। इसमें के नियम क्रमांक 3 के अनुक्रमांक 4 में सरकारी वित्तीय संस्थान और सरकारी बकाया की देनदारी का ब्यौरा शामिल हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2 मई 2002 को एसोसिएशन ऑफ़ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की याचिका पर आदेश जारी किया था। सत्यपाल सिंह ने सरकारी बकाया देनदारी की जानकारी उम्मीदवारी अर्जी पेश करने के दौरान सार्वजनिक नही की थी।
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