Friday, 5 February 2016

अब महाराष्ट्र में नही मिलेगा कौड़ियों के दाम पर भूखंड

भाजपा सांसद हेमा मालिनी को कौड़ियों के दामों में भूखंड का आवंटन किए जाने पर पैदा हुए विवाद के बाद महाराष्ट्र सरकार इस नियम को ही खत्म करने जा रही हैं। आरटीआय कार्यकर्ता अनिल गलगली के सुझाव के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उस नियम को ही खत्म करने की सोच रहे हैं, जिसके तहत सांस्कृतिक और शैक्षणिक उद्देश्यों के तहत लिए जमीन की खरीद में छूट दिए जाने का प्रावधान है। महाराष्ट्र सरकार के वर्ष 1983 और 1984 के एक नियम के मुताबिक राज्य में सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए वर्ष 1976 के दाम के 25 पर्सेंट पर जमीन देने का प्रावधान है। महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर देवेंद्र फडणवीस ने कानून में बदलाव किए जाने की पृष्टि करते हुए कहा कि वर्ष1976 में जमीनों के रेट काफी कम थे, फिर उसका 25 पर्सेंट लिया जाना बेहद कम है। मैंने अपने अधिकारियों से जमीन आवंटन को लेकर नई नीति तैयार करने को कहा है।' यह पूछे जाने पर कि नियम में बदलाव का असर हेमा मालिनी को आवंटित भूखंड पर भी पड़ेगा, उन्होंने कहा कि इस मामले पर भी विचार किया जाएगा। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि नई नीति के तहत जमीनों का आवंटन भूमि की कीमत के सरकारी अनुमान के मुताबिक होगा। हेमा मालिनी को बेहद कम दामों पर जमीन विक्री पर दिए जाने की बात उजागर करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री की इन कोशिशों की सराहना की है। अनिल गलगली ने देवेंद्र फडणवीस को सर्वप्रथम पत्र लिखकर वर्ष 1983 और1984 में बने इस नियम में बदलाव की मांग की थी। उनका कहना था कि इस नीति की वजह से सरकार को बड़ा नुकसान हो रहा है। अनिल गलगली का कहना था कि न्यूनतम कीमत से भी काफी कम दाम पर जमीनों के आवंटन के चलते सरकार को करोड़ो रुपये का नुकसान पिछले 35 वर्षो में हुआ हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का आभार मानते हुए कहा कि इस कदम से राज्य सरकार की तिजोरी में अच्छा ख़ासा धन जमा होगा और राज्य सरकार को विकास काम के लिए इस धन का इस्तेमाल करने में मदद होगी।

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