Thursday, 28 January 2016
हेमा मालिनी के नाटय विहार केंद्र को सिर्फ 70 हजार में बहाल होगा करोड़ों का भूखंड
सरकार मेहरबान तो क्या हो सकता है या नही? इसका अहसास ओशिवारा स्थित 2000 वर्ग मीटर का भूखंड वितरण प्रक्रिया से हुआ हैं। भाजपा सांसद और अभिनेत्री हेमा मालिनी के नाटय विहार केंद्र को सिर्फ 70 हजार में (35 रु वर्ग मीटर रेट से) करोड़ों का भूखंड बहाल होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को प्राप्त दस्तावेजों से सामने आ रही हैं। इसके पहले कांग्रेस के सांसद और मौजूदा आईपीएल आयुक्त राजीव शुक्ला को समान रेट से भूखंड देने से माहौल गर्म हुआ था और शुक्ला परिवार की बीए फिल्म कंपनी ने तो वह भूखंड सरकार को वापस कर भी दिया। विशेष यानी वित्तीय खर्च की पूर्ति अबतक हेमा मालिनी की संस्था ने की नही हैं ना इसके पहले वितरित भूखंड सरकार को वापस लौटाया नही हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय से हेमा मालिनी की नाटय संस्था को दिए गए भूखंड की जानकारी मांगी थी। मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय ने हेमा मालिनी को दिए जानेवाले भूखंड के तहत दी गई जानकारी चौकानेवाली हैं। हाल ही में जो भूखंड अंधेरी तालुका स्थित आंबिवली में दी गई जमीन गार्डन के लिए आरक्षित है उस जमीन को हेमा मालिनी की संस्था को सिर्फ रु 35 प्रति वर्ग मीटर के रेट से देकर भूखंड की खैरात की हैं। वर्ष 2016 में सरकार ने दिनांक 1/2/1976 के मुल्यांकन का आधार लिया है जो उसवक्त प्रति वर्ग मीटर का रेट रु 140/- इतना था। हेमा मालिनी को उसी रेट के 25 प्रतिशत यानी सिर्फ रु 35/- इतनी ही रकम अदा करनी होगी। इसके पहले हेमा मालिनी की संस्था को अंधेरी तालुका के वर्सोवा का भूखंड दिनांक 4/4/1997 को दिया गया था उसवक्त संस्था ने रु 10 लाख अदा किए थे लेकिन इसमें से कुछ हिस्सा ये सीआरझेड से प्रभावित होने से हेमा मालिनी ने किसी भी तरह का निर्माण काम किया नही। साथ ही में आज तक कुल प्रोजेक्ट खर्च की 25 प्रतिशत रकम भी इकट्ठा नही करने के बाद भी भाजपा सरकार ने इस ओर ध्यान दिया नही और हेमा मालिनी की संस्था को वैकल्पिक भूखंड का वितरण कर ही किया।
वर्सोवा स्थित भूखंड की वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग हेमा मालिनी की नाटय विहार केंद्र ने दिनांक 6/7/2007 को सरकार से कर आरक्षित क्षेत्र में से 2000 वर्ग मीटर जगह नाटय विहार केंद्र कोबप्रदान कर शेष जगह पर प्रस्तावित गार्डन का विकास उनके ट्रस्ट द्वारा करने की मांग की थी। इस प्रस्ताव को सरकार ने दिनांक 30/7/2010 को मंजूर भी किया। सरकार ने संस्था से कुछ मामलों की जानकारी मांगने पर संस्था ने उसकी पूर्ती आज तक नही की हैं।
अंधेरी के आंबिवली स्थित सर्वे क्रमांक 109 A/1, नगर भुमापन क्रमांक 3 के क्षेत्र 29360.50 वर्ग मीटर जमीन गार्डन के लिए आरक्षित रखे क्षेत्र में से 2000 वर्ग मीटर देने का आदेश सरकार के उपसचिव माधव काले ने दिनांक 23 दिसंबर 2015 को जारी किया। राजस्व विभाग के प्रधान सचिव ने दिनांक 19 दिसंबर 2015 को उनकी अध्यक्षता में बैठक आयोजित की थी। उस बैठक के बाद सरकारी चक्र घुमने लगे और सिर्फ 70 हजार में करोड़ों का भूखंड हेमा मालिनी की संस्था नाटय विहार केंद्र को बहाल करने को मंजूरी दी। मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय ने दिनांक 15/1/2016 को पत्र भेजकर पुनश्च कुछ दस्तावेज और मामलों की पूर्ती करने की सूचना सांसद सदस्य हेमा मालिनी को भेजे हुए पत्र में की हैं। दिनांक 14/8/2015 को हेमा मालिनी स्वयं भूखंड के स्थान पर उपस्थित थी और उसके बाद ही उनके संस्था को भूखंड सरकार को मंजूरी दी।
हेमा मालिनी के नाटय विहार केंद्र ने अब तक सांस्कृतिक संकुल प्रोजेक्ट के प्रस्तावित खर्च की 25 प्रतिशत रकम उपलब्ध होने की गारंटी नही देने से कुल खर्च की 25 प्रतिशत रकम उपलब्ध होने का वित्तीय प्रमाणपत्र 2 महीने के भीतर तथा 75 प्रतिशत रकम की पूर्ति कैसे करेंगे ? इसका मजबूत सबूत सादर करने का आदेश जिलाधिकारी ने जारी किया हैं।
हेमा मालिनी के नाटय विहार केंद्र ने सांस्कृतिक संकुल प्रोजेक्ट का प्रस्तावित खर्च 18 करोड़ 48 लाख 94 हजार 500 रुपए इतना होने की जानकारी देते हुए इतका संस्था के पास 3.50 करोड़ का फंड उपलब्ध होने और शेष फंड बैंक से इकठ्ठा करने की बात बयान में की हैं। जिसके चलते यह फंड प्रोजेक्ट की किंमत की तुलना में 25 प्रतिशत से भी कम हैं और अन्य फंड कैसे इकठ्ठा करेंगे यह साफ़ नहीं किया हैं।
एक ओर भाजपा सरकार मुंबई के विभिन्न प्रयोजन के लिए आरक्षित जमीन पर स्थित भूखंड वापस लेने के विचार में है और वही सरकार भाजपा सांसद हेमा मालिनी के गार्डन के लिए आरक्षित भूखंड पर नया निर्माण करने के लिए मंजूरी देने के लिए इतनी ललायित क्यों हैं? ऐसा सवाल अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजे हुए पत्र में करते हुए रेडी रेकनर के बजाय वर्ष 1976 का मुल्यांकन रेट हेमा मालिनी के मामले में फिक्स करने का लिया हुआ फैसला आश्चर्यजनक बताया हैं। निजी संस्था के बजाय सरकार को स्वयं पहल कर इसतरह के आरक्षित भूखंड पर सांस्कृतिक संकुल का निर्माण करना चाहिए ताकि भविष्य में मुंबई के संस्थाओं पर आज की जानेवाली कारवाई की जरुरत नही पड़ेगी, ऐसी गलगली ने मांग की हैं।
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