Monday, 11 January 2016

महाराष्ट्र में दाल और तेल जमाखोरों पर छापे की संख्या 5592 दर्ज एफआईआर की संख्या सिर्फ 50

डाल में कुछ काला है’ ऐसा डायलॉग हिंदी सिनेमा से हम हमेशा सुनते हैं या किसी भी संदेह आया तो आमतौर पर कहते भी हैं। लेकिन महाराष्ट्र में अरह दाल के दाम आसमान को छूते ही राज्य सरकार ने छापामारी शुरु की और जमाखोरों से थोड़ी बहुत नहीं बल्कि रु 539.50 करोड़ किंमत की दाल और तेल बरामद किया गया हैं। कुल 5592 छापा मारने के बावजूद एफआईआर की संख्या सिर्फ 50 होने की सनसनीखेज जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सरकार ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सरकार से दाल और तेल जमाखोरों से बरामद स्टॉक, उसकी किंमत और दर्ज एफआईआर की जानकारी मांगी थी। पहले यह जानकारी नही मिलने पर अनिल गलगली ने प्रथम अपील दायर करने के बाद खाद्य आपूर्ति और ग्राहक संरक्षण विभाग के उप सचिव स. श्री. सुपे ने यह जानकारी अपील सुनवाई में दी। राज्य के 7 प्रादेशिक विभाग में 5592 दुकानों पर छापामारी डालकर गोडाऊन का निरिक्षण किया गया। इसमें दाल, तेल और तेल बीज ऐसी जीवनावश्यक चीजे बरामद की गई। बरामद 1,36,921.833 मेट्रिक टन जीवनावश्यक चीजों की किंमत 539 करोड़ 50 लाख 15 हजार 745 इतनी है और सिर्फ 50 एफआईआर दर्ज की गई हैं। महाराष्ट्र राज्य में हुई छापामारी में सर्वाधिक स्टॉक मुंबई और ठाणे में बरामद किया गया उसकी किंमत रु 458,54,97,389/- इतनी हैं। कुल 35 छापामारी में 67,065.810 मेट्रिक टन बरामद किया गया। कोकण विभाग में रु 55.73/- करोड़ किंमत का 36,146.57 मेट्रिक टन स्टॉक बरामद किया गया। नागपुर में रु 10,14,77,000/-/, औरंगाबाद में रु 4,29,66,800/-, पुणे में रु 5,65,73,556/-, अमरावती में रु 5,12,01,000/ किंमत का स्टॉक बरामद किया गया। नागपूर प्रादेशिक विभाग में नागपूर शहर, नागपूर ग्रामीण, वर्धा, भंडारा, चंद्रपूर, गोंदिया और गडचिरोली में 477 छापामारी के बाद एक भी व्यक्ती पर एफआयआर दर्ज नही किया गया हैं, यह ताज्जुब की बात हैं। नागपूर और अमरावती में शून्य वही कोकण और औरंगाबाद में सिर्फ एक ही एफआयआर दर्ज किया गया हैं। पुणे में 22 एफआयआर दर्ज किया गया हैं। वही मुंबई और ठाणे में 19 लोगों पर एफआयआर दर्ज किया गया हैं। नासिक में 7 एफआयआर दर्ज किए गए हैं। अनिल गलगली के अनुसार कमसे कम जिनपर एफआयआर दर्ज हुए हैं उनके नाम राज्य सरकार सार्वजनिक करने चाहिए और एफआयआर दर्ज होने का प्रतिशत को देखते हुए ' छापामारी में कुछ काला हैं' ऐसा कहने की नौबत आन पड़ी हैं। कालाबाजारी और जमाखोरों पर अंकुश रखने के लिए सभी तरह का व्यवहार कंप्यूटराईज करने की मांग अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजे हुए पत्र में की हैं।

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