आरटीआई कार्यकर्ता सतीश शेट्टी हत्या की जांच धीमी गति से शुरु हैं इसलिए इस हत्या मामले की श्वेतपत्रिका सरकार और
सीबीआई से जारी करने की मांग आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने करते हुए वर्तमान में आरटीआई कानून को और मजबूत करने की जरुरत बताई।
आजाद मैदान में आरटीआई एक्टिविस्ट फोरम द्वारा आयोजित सतीश शेट्टी का क्या हुआ ? इस विरोध आंदोलन में अपनी बात रखते हुए अनिल गलगली ने आरटीआई कानून का हर सरकार अपनी अपनी सहूलियत से कैसे इस्तेमाल करती हैं उसका उदाहरण पेश किया।सतीश शेट्टी हत्या मामले पर श्वेतपत्रिका जारी होती हैं तो सरकार और सीबीआई ने किए हुए जांच की जानकारी जनता के सामने आ सकती हैं। सूचना का अधिकार कानून की धारा 4 को प्रत्येक सार्वजनिक प्राधिकरण ने कार्यान्वित किया तो आरटीआई आवेदन की संख्या में कमी होगी और एक क्लिक पर जानकारी उपलब्ध हो । सरकार और बाबू लोग जानबूझकर इसमें रोड़ा डालने का प्रयास करने का आरोप गलगली का हैं। शहीद सतीश शेट्टी के भाई संदीप ने सरकारी यंत्रणा पर विश्वास न होने का आरोप लगाते हुए सूत्रधार और हत्यारों को जेल भेजने तक चुप न बैठने की घोषणा की।मजदूर नेता विश्वास उटगी ने इस कानून की परिधि में निजी और कार्पोरेट संस्थान को लाने की जरुरत बताई।फोरम के अध्यक्ष सुधाकर कश्यप ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को 5 मांग वाला पत्र भेजकर मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति करना और निवृत्त न्यायाधीस को वरीयता देने की मांग की। इस मौके पर महाराष्ट्र के पुणे, परभणी, नगर, सांगली इन इलाकों से आरटीआई कार्यकर्ताओं के अलावा स्वाती पाटील, रमेश खानविलकर, शंकर पुजारी, अरुण माने, प्रवीण अरुणकर, क्षीरसागर आदी उपस्थित थे। इस मौके पर सतीश शेट्टी का क्या हुआ, मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति हो, निजी और कार्पोरेट संस्थान को आरटीआई के तहत लाया जाए, जैसी घोषणा की गई।
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