मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने करोड़ों की कमाई पर पानी छोड़ते हुए निजी कंपनी को टोईंग का ठेका बहाल किया हैं। एका वर्ष में 2 व्हीलर औऱ 4 व्हीलर गाड़ियों से वसूल की गई कुल रकम में से ट्रैफिक पुलिस को सिर्फ 5.92 करोड़ वहीं विवादित मेसर्स विदर्भ इन्फोटेक कंपनी के हिस्से में कुल 9.22 करोड़ रुपए आने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सह पुलिस आयुक्त, ट्रैफिक विभाग ने दी हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सह पुलिस आयुक्त, ट्रैफिक विभाग से टोईंग के लिए मेसर्स विदर्भ इन्फोटेक कंपनी को दिए हुए ठेके की जानकारी मांगी थी। ट्रैफिक कोष के अशोक शिंदे ने अनिल गलगली को बताया कि टोईंग की सेवा दिसंबर 2016 से शुरु की गई हैं। तबसे 30 नवंबर 2017 तक सभी मामलों में कुल रु 5,91,67,800/- इतनी समझौता रकम सरकारी की तिजोरी में जमा हुई हैं। वहीं मेसर्स विदर्भ इन्फोटेक कंपनी ने कर्षित वाहन शुल्क के तौर पर रु 9,22,37,148/- इतनी रकम वसूल की हैं। वर्ष 2016 के दिसंबर महीने में 404 4 व्हीलर गाड़ियों से समझौता रकम 80,800/- वहीं कर्षित वाहन शुल्क रु 1,85,840/- इतनी रकम वसूल की गई हैं। वहीं वर्ष 2017 के 11 महीने में 1,95,843 जो 2 व्हीलर थी और 99,592 जो 4 व्हीलर थी उनसे समझौता रकम 5,90,87,000/- और कर्षित वाहन शुल्क रु 9,20,51,308/- इतनी रकम वसूल की गई हैं। कुल जमा की गई 15,14,04,948/- रकम में से 39 प्रतिशत रकम ट्रैफिक पुलिस को और 61 प्रतिशत रकम मेसर्स विदर्भ इन्फोटेक कंपनी को प्राप्त हुई हैं। यह ठेका 75 महीने के लिए हैं और बँक गारंटी 5 करोड़ की हैं।
अनिल गलगली ने मेसर्स विदर्भ इन्फोटेक कंपनी का निदेशक मंडल की लिस्ट और सालाना ऑडिट की कॉपी मांगी थी। ट्रैफिक पुलिस ने स्पष्ट किया कि ऐसी किसी भी तरह की जानकारी उनके रेकॉर्ड पर नहीं हैं।अनिल गलगली के अनुसार मेसर्स विदर्भ इन्फोटेक कंपनी को कुल रकम से जो हिस्सेदारी दी है रही हैं उस रकम का प्रतिशत और एग्रीमेंट सरकार के लिए घाटे वाला और निजी कंपनी को मुनाफा वाला होने की टिप्पणी अनिल गलगली ने करते हुए इसके पुर्ननिरीक्षण की मांग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखे हुए पत्र में की हैं।
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