Wednesday, 4 May 2016
नौकरशाह के मकड़जाल में फंसी केजरी सरकार
परिवर्तन और आम जनता का राज का राग अलापने वाली दिल्ली की केजरी सरकार नौकरशाह के मकड़जाल में पुरी तरह फंस चुकी हैं। आरटीआई से विज्ञापन की जानकारी न मिलने पर दिल्ली आने का न्यौता के खिलाफ सीधे सीएम अरविंद केजरीवाल से अनिल गलगली ने गृहार लगाई थी जिसके बाद सीएम के ओएसडी जी के माधव ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के ओएसडी राजीव गुप्ता और डिप्टी सीएम के ओएसडी ने सूचना एवं प्रसारण विभाग को गलगली की शिकायत अग्रेषित कर अपना पल्ला झाड़ लिया हैं।
मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने 8 मार्च 2016 को दिल्ली सरकार के सूचना एवं प्रसार संचालनालय से दिल्ली में वर्तमान सरकार गठित होने के 1 वर्ष पूर्ण होने पर जारी किए गए विभिन्न विज्ञापनों की जानकारी के साथ शीला दीक्षित सरकार के कार्यकाल में 1 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में जारी किए विभिन्न विज्ञापनों की भी जानकारी मांगी थी।
अनिल गलगली ने आगे यह भी जानने की कोशिश की थी कि सरकार दिल्ली में कार्यरत होते हुए दिल्ली के बाहर विज्ञापन देने के लिए आम दिल्लीवासियों की राय मंगाने के लिए की हुई पहल की जानकारी दे।
दिल्ली सरकार के सूचना एवं प्रसार संचालनालय के उप निदेशक राजीव कुमार ने 15 मार्च 2016 को गलगली का आवेदन विज्ञापन, शब्दार्थ और क्षेत्रीय प्रचार यूनिट को हस्तांतरित किया गया।
क्षेत्रीय प्रचार यूनिट के उप निदेशक एम सी मौर्य ने 17 मार्च 2016 को उनके कार्यालय स्थित रेकॉर्ड का निरीक्षण करने की सलाह देते हुए संबंधित विभाग के जन सूचना अधिकारी से स्वतंत्र तौर पर सूचना जमा करने को कहा। शब्दार्थ के जन सूचना अधिकारी ने 4 अप्रैल 2016 को उनका विभाग सूचना एवं प्रसार निदेशालय के आदेश पर विज्ञापन जारी करने की जानकारी देते हुए अन्य मांगी हुई सूचना उनसे संबंधित न होने का दावा किया। विज्ञापन की जन सूचना अधिकारी नलिन चौहान ने गलगली को जबाब दिया कि मांगी गई जानकारी संकलित रुप में उपलब्ध नही हैं। अत: आवेदक उनके कार्यालय में आकर संबंधित फाइलों का निरीक्षण कर सकता हैं जिससे मांगी गई जानकारी की फोटोप्रति भुगतान पर दी जा सके।
गलगली ने केजरी सरकार के इसतरह के जबाब पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें लगा था कि शायद केजरी सरकार पारदर्शक और स्वच्छ कामकाज के तहत विज्ञापन की जानकारी और उसपर हुए खर्च के आंकड़े ताबड़तोब देगी लेकिन आंकड़े तो दूर की बात उन्हें दिल्ली बुलाकर फाइलों का निरीक्षण करने का जबाब सरासर आरटीआई कानून का उल्लंघन हैं क्योंकि उन्होंने अपने आवेदन में फाइल निरीक्षण का जिक्र तक नहीं किया था। गलगली ने मुंबई में प्रकाशित विज्ञापन पर होनेवाला खर्च फिजुलखर्च बताते हुए इसे सरकारी फंड का दुरुप्रयोग बताते हुए केजरीवाल से लिखित तौर पर अपील की थी कि कुछ तो पारदर्शक बने और विज्ञापन खर्च का एक एक पैसे का हिसाब जनता को देते हुए सार्वजनिक करे।
अनिल गलगली की शिकायत पर सीधे कारवाई करने के बजाय सीएम अरविंद केजरीवाल के ओएसडी ने उनकी शिकायत को डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के ओएसडी के पास भेजा। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के ओएसडी ने सीधे कारवाई करने के बजाय गलगली की शिकायत को सूचना एवं प्रसारण विभाग को भेजकर अपना पल्ला झाड़ दिया। अनिल गलगली को ना केजरी सरकार आरटीआई से मांगी विज्ञापन पर हुए खर्च की जानकारी दे रही हैं ना सीएम और डिप्टी सीएम कार्यालय कारवाई कर रहा हैं उल्टे आप पार्टी के कार्यकर्ता ट्विटर पर विज्ञापन खर्च के आंकड़े उनके हिसाब से बताने की कोशिश में जुटे हुए हैं। अनिल गलगली का सिर्फ इतना ही कहना हैं कि जो दिल्ली और दिल्ली के बाहर विज्ञापन दिए है उसका खर्च सार्वजनिक कर खर्च का ब्यौरा ऑनलाइन करे और इतना पैसा खर्च करने के पहले आम जनता की राय ली हो तो उसे बता दे।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment