Monday, 9 May 2016
कॉन्ट्रैक्ट पर प्यून का मुख्यमंत्री कार्यालय को ऐसा भी मोह
राज्य की भाजपा सरकार का शिपाई पर होनेवाला दृढ विश्वास और मोह अनाकलनीय हैं क्योंकि एमएमआरडीए से वेतन लेनेवाले 2 कॉन्ट्रैक्टी प्यून मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत होने की कबूलनामें की जानकारी एमएमआरडीए प्रशासन ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली दी हैं। विशेष यानी इसमें में से एक शिपाई जगन्नाथ आचार्य मुख्यमंत्री कार्यालय से जमादार इस पद से भले ही सेवानिवृत्त हुआ हैं लेकिन असल में आज भी वहीं पर कार्यरत हैं और मुख्यमंत्री की किसी भी तरह की मंजूरी नहीं हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से मुख्यमंत्री कार्यालय के लिए एमएमआरडीए प्राधिकरण ने नियुक्त किए अधिकारी और कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्राधिकरण ने अनिल गलगली को बताया कि विश्वास दादासाहेब बनसोडे और जगन्नाथ तंगवेल आचार्य कॉन्ट्रैक्टी प्यून हैं। एमएमआरडीए प्राधिकरण के जरिए इन 2 शिपाई की सेवा मुख्यमंत्री कार्यालय में उपलब्ध कराकर दी गई हैं और उनका वेतन प्राधिकरण से अदा किया जाता हैं। बनसोडे यह 1 नवंबर 2014 और जगन्नाथ आचार्य यह 1 जुलाई 2015 से मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत हैं।
यह दोनों कॉन्ट्रैक्टी प्यून जिन्होंने एक भी दिन एमएमआरडीए में काम तो नहीं किया बल्कि जिस दिन कॉन्ट्रैक्टी प्यून के तौर पर एमएमआरडीए प्राधिकरण की सेवा में शामिल हुए उसी वक्त से मुख्यमंत्री कार्यालय में सक्रिय हुए । आचार्य यह सेवानिवृत्त जमादार थे और दिनांक 1 जुलाई 2015 को आवेदन करते ही उसी दिन उप महानगर आयुक्त और अतिरिक्त महानगर आयुक्त संजय सेठी ने ताबड़तोब मंजूरी देते हुए कार्यालयीन आदेश जारी किया था। उसी दिन से मुख्यमंत्री कार्यालय ने आचार्य की आदर्श सेवा लेने को आरंभ भी किया। आचार्य के अलावा आदर्श सेवा देनेवाले विश्वास बनसोडे अपनी एमएमआरडीए में नियुक्ती के उसी दिन मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत हैं। इसकी मंजूरी नियुक्ती के 19 दिन के बाद यानी 19 नवंबर 2014 को मुख्यमंत्री कार्यालय को लोन बेसिस पर उपलब्ध कराकर देने के लिए मुख्यमंत्री के अवर सचिव किरण हडकर ने एमएमआरडीए के उपमहानगर आयुक्त से अनुरोध किया। एमएमआरडीए बनसोडे को 1 नवंबर 2014 त
से 30 दिसंबर 2015 तक रु 12,000/- इतना मासिक वेतन दे रही थी और उसके बाद दिनांक 1 जनवरी 2016 से मासिक रु 13,200/- इतना वेतन दे रही हैं वहीं आचार्य को रु 17,500/- इतना मासिक वेतन दिया जा रहा हैं।
अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री महोदय ने इस मामले में जारी किए आदेश की कॉपी मांगने पर उन्हें एमएमआरडीए ने मुख्यमंत्री कार्यालय के उप सचिव के तौर पर कार्यरत किरण हडकर के पत्र की कॉपी दी। असल में कॉन्ट्रैक्टी प्यून के तौर पर सेवानिवृत्त कर्मचारियों की नियुक्ती करने के लिए सरकार की अनुमती लेने की जरुरत होते हुए इन प्यून के मामलों में वैसी कारवाई नहीं की गई। डॉ जगन्नाथ ढोणे बनाम महाराष्ट्र सरकार के न्यायालयीन केस में सरकार ने न्यायालय को शपथ पर आश्वत किया था कि सेवानिवृत्त कर्मचारी की नियुक्ती आगे से नहीं करेंगे और एकदम जरुरत होने पर सरकार की अनुमती ली जाएगी। जिसका उल्लंघन खुद से मुख्यमंत्री कार्यालय ने ही करने पर अनिल गलगली ने अफ़सोस जताया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को अंधेरे में रखकर कुछ अधिकारी मुख्यमंत्री कार्यालय का दुरुप्रयोग तो नहीं कर रहे ना? ऐसा सवाल गलगली ने करते हुए आचार्य जैसे सेवानिवृत्त जमादार पर मुख्यमंत्री कार्यालय किस लिए और कौनसे प्रयोजन के लिए निर्भर हैं, इसकी जांच करने की मांग की हैं।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment