Sunday, 31 August 2025

पूज्य श्री लोकेशानंद जी महाराज के सानिध्य में दिव्य श्रीमद्भागवत कथा संपन्न

पूज्य श्री लोकेशानंद जी महाराज के सानिध्य में दिव्य श्रीमद्भागवत कथा संपन्न

श्री जगन्नाथ जी के पावन सानिध्य में जगन्नाथपुरी धाम हॉलिडे रिसोर्ट में आयोजित दिव्य श्रीमद्भागवत कथा का तृतीय दिवस श्रद्धा और भक्ति भाव से संपन्न हुआ। कथा व्यास पीठ पर श्री नारायण भक्ति पंथ के प्रवर्तक एवं श्री श्री नारायणपुरम, शाहदा धाम के संस्थापक अनंत श्री विभूषित संत श्री लोकेशानंद जी महाराज ने भागवत प्रसंगों का रसपान कराते हुए नारायण नाम महिमा और संकीर्तन के महत्व पर प्रकाश डाला।

विशेष अवसर पर कथा में पधारे डॉ. संबित पात्रा (सांसद, पुरी एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपा) ने अपने उद्बोधन में कहा कि “भगवान जगन्नाथ जी रथयात्रा के माध्यम से जनता के बीच दर्शन देने आते हैं, यह लोकतंत्र का श्रेष्ठ उदाहरण है। महाप्रभु को छप्पन भोग सहित जो भात, दाल और परंपरागत सब्ज़ियों का भोजन अर्पित किया जाता है, वह सदियों से वैसा ही है। आयातित अन्न या सब्ज़ियों (जैसे टमाटर, मूली, आलू आदि) का रसोई में प्रवेश वर्जित है। इससे बड़ा राष्ट्रीयता और सांस्कृतिक अस्मिता का संदेश और क्या हो सकता है!”

कथा में अयोध्या से पधारे महामंडलेश्वर श्री राघवाचार्य जी महाराज ने आशीर्वचन दिए। साथ ही पं. कैलाश जी (बगलामुखी तारा शक्ति पीठ, बिजाना, शाजापुर) तथा श्री अलीजा सरकार हनुमान मंदिर, इंदौर के महंत जी का भी पावन सानिध्य मिला।

कार्यक्रम के मुख्य यजमान महेंद्र पीडी अग्रवाल व प्राची अग्रवाल सुपुत्र युवराज रहे, जिन्होंने अतिथियों का आदरपूर्वक स्वागत किया। इस मौके पर श्री नारायण भक्त पंथ, मुंबई के अध्यक्ष अनिल गलगली, सचिव हितेश शेट्टी, भाजपा मध्यप्रदेश प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसोसिया सहित अनेक मान्यवर उपस्थित रहे।

मुंबई, इंदौर, उज्जैन, रामपुरा, कल्याणपुरा, भोपाल, आलोट व शाहदा से आए नारायण भक्तों ने इस दिव्य कथा का धर्मलाभ लिया।

Monday, 25 August 2025

राष्ट्र के जागरण का समय आ गया : डॉ. चिन्मय पंड्या

राष्ट्र के जागरण का समय आ गया : डॉ. चिन्मय पंड्या

देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त युवा प्रेरक डॉ. चिन्मय पंड्या ने कहा कि अब समय आ गया है जब भारत को केवल स्वयं ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व का पथप्रदर्शन करना होगा। उन्होंने कहा कि जब देश का प्रत्येक नागरिक आत्मबल, नैतिकता और आध्यात्मिकता से युक्त होगा, तभी भारत का नवजागरण संभव है और उसके माध्यम से विश्व को नई दिशा मिलेगी।

नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आयोजित एक ऐतिहासिक कार्यक्रम में बोलते हुए युवा आइकॉन डॉ. पंड्या, जो इन दिनों माता भगवती देवी शर्मा जी की जन्मशताब्दी वर्ष (2026) के अंतर्गत प्रव्रज्या पर हैं, ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि युग निर्माण आंदोलन के तीन प्रमुख स्तंभ — विचार क्रांति, चरित्र निर्माण और व्यसन मुक्ति — आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता हैं। नई पीढ़ी को राष्ट्रभक्ति, कर्तव्यनिष्ठा और जीवन मूल्यों से जोड़ना ही राष्ट्र निर्माण का वास्तविक आधार है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्र के जागरण का समय आ चुका है। अब केवल देखने और सुनने से काम नहीं चलेगा, बल्कि सक्रिय होकर तैयारी के साथ राष्ट्र निर्माण की भूमिका निभानी होगी।

इस अवसर पर उपस्थित युवाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षकों और वरिष्ठ नागरिकों ने डॉ. पंड्या के विचारों को आत्मसात करते हुए यह संकल्प लिया कि वे अपने जीवन में स्वास्थ्य, सदाचार, समाजसेवा और राष्ट्रप्रेम को अपनाते हुए नवयुग के निर्माण में सहभागी बनेंगे।

समारोह में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री एवं मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गादास उईके ने भी अपने विचार साझा किए। सारस्वत अतिथि के रूप में स्वामी ब्रह्मबिहारी जी (प्रमुख – अंतर्राष्ट्रीय संबंध, स्वामीनारायण संस्थान) और स्वामी अक्षर वत्सल दास जी (अध्यक्ष, अक्षरधाम नई दिल्ली) ने भी सभा को संबोधित किया।

समारोह के दौरान युवा आइकॉन डॉ. चिन्मय पंड्या ने सभी विशिष्ट अतिथियों को तुलसी का पौधा एवं नवयुग का संविधान भेंट कर सम्मानित किया। यह प्रतीकात्मक भेंट पर्यावरण चेतना एवं सांस्कृतिक पुनर्जागरण का संदेश लिए हुए थी।

Tuesday, 12 August 2025

भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत हो रहे विदेशी युवा : डॉ. चिन्मय पण्ड्या

भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत हो रहे विदेशी युवा : डॉ. चिन्मय पण्ड्या

पश्चिमी देशों के युवा अब तेजी से भारतीय संस्कृति और जीवनशैली की ओर आकर्षित हो रहे हैं। योग, ध्यान और आध्यात्मिकता उनके जीवन का अहम हिस्सा बनते जा रहे हैं। यह विचार देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति एवं युवा आइकॉन डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने व्यक्त किए। वे हाल ही में अपने 18 दिवसीय यूरोप, अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड और लातविया प्रवास से लौटे हैं।

हरिद्वार में एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ. पण्ड्या ने बताया कि विदेशों में युवाओं के बीच भारतीय संस्कृति को लेकर नई जागरूकता और उत्सुकता का माहौल है। विशेषकर यूरोप और उत्तर अमेरिका में युवा वर्ग केवल योग और ध्यान को शारीरिक व्यायाम के रूप में नहीं देख रहा, बल्कि इसे एक समग्र जीवनशैली के रूप में अपना रहा है। वे संतुलित आहार, संयमित व्यवहार और प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने को भारतीय जीवन दृष्टिकोण का अभिन्न हिस्सा मानते हैं।

डॉ. पण्ड्या ने कहा कि भौतिकतावादी जीवनशैली से उत्पन्न तनाव और अकेलापन विदेशों के युवाओं में गहराई से महसूस किया जा रहा है। ऐसे में भारतीय परंपरा में निहित आध्यात्मिकता, ध्यान और आत्मिक शांति का मार्ग उन्हें भीतर से मजबूत बनाने में सहायक हो रहा है।

उन्होंने बताया कि देवसंस्कृति विश्वविद्यालय वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। विश्वविद्यालय भारत सहित अनेक देशों में सेमिनार, योग शिविर और यज्ञीय आयोजनों के माध्यम से भारतीय मूल्यों को आगे बढ़ा रहा है। इससे विदेशी युवाओं को न केवल भारत की प्राचीन परंपराओं से परिचित कराया जा रहा है, बल्कि उन्हें आत्मविकास और मानसिक संतुलन का मार्ग भी दिखाया जा रहा है।

2026 में वंदनीया भगवती देवी शर्मा जी की जन्मशताब्दी के उपलक्ष्य में भारत और विदेशों में “ज्योति कलश यात्रा” निकाली जा रही है। डॉ. पण्ड्या ने बताया कि शिकागो, कनाडा और विनिपेग जैसे शहरों में इस यात्रा में स्थानीय युवाओं की विशेष भागीदारी रही।

अपने विचार साझा करते हुए डॉ. पण्ड्या ने कहा कि भारतीय संस्कृति का वैश्वीकरण कोई नया विषय नहीं है, लेकिन अब यह एक संगठित और उद्देश्यपूर्ण आंदोलन का रूप ले रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले वर्षों में भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता विश्व में और अधिक प्रभावशाली रूप से अपनी छाप छोड़ेगी और इसमें भारत की युवा पीढ़ी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी।

भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत हो रहे विदेशी युवा : डॉ. चिन्मय पण्ड्या

भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत हो रहे विदेशी युवा : डॉ. चिन्मय पण्ड्या

पश्चिमी देशों के युवा अब तेजी से भारतीय संस्कृति और जीवनशैली की ओर आकर्षित हो रहे हैं। योग, ध्यान और आध्यात्मिकता उनके जीवन का अहम हिस्सा बनते जा रहे हैं। यह विचार देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति एवं युवा आइकॉन डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने व्यक्त किए। वे हाल ही में अपने 18 दिवसीय यूरोप, अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड और लातविया प्रवास से लौटे हैं।

हरिद्वार में एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ. पण्ड्या ने बताया कि विदेशों में युवाओं के बीच भारतीय संस्कृति को लेकर नई जागरूकता और उत्सुकता का माहौल है। विशेषकर यूरोप और उत्तर अमेरिका में युवा वर्ग केवल योग और ध्यान को शारीरिक व्यायाम के रूप में नहीं देख रहा, बल्कि इसे एक समग्र जीवनशैली के रूप में अपना रहा है। वे संतुलित आहार, संयमित व्यवहार और प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने को भारतीय जीवन दृष्टिकोण का अभिन्न हिस्सा मानते हैं।

डॉ. पण्ड्या ने कहा कि भौतिकतावादी जीवनशैली से उत्पन्न तनाव और अकेलापन विदेशों के युवाओं में गहराई से महसूस किया जा रहा है। ऐसे में भारतीय परंपरा में निहित आध्यात्मिकता, ध्यान और आत्मिक शांति का मार्ग उन्हें भीतर से मजबूत बनाने में सहायक हो रहा है।

उन्होंने बताया कि देवसंस्कृति विश्वविद्यालय वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। विश्वविद्यालय भारत सहित अनेक देशों में सेमिनार, योग शिविर और यज्ञीय आयोजनों के माध्यम से भारतीय मूल्यों को आगे बढ़ा रहा है। इससे विदेशी युवाओं को न केवल भारत की प्राचीन परंपराओं से परिचित कराया जा रहा है, बल्कि उन्हें आत्मविकास और मानसिक संतुलन का मार्ग भी दिखाया जा रहा है।

2026 में वंदनीया भगवती देवी शर्मा जी की जन्मशताब्दी के उपलक्ष्य में भारत और विदेशों में “ज्योति कलश यात्रा” निकाली जा रही है। डॉ. पण्ड्या ने बताया कि शिकागो, कनाडा और विनिपेग जैसे शहरों में इस यात्रा में स्थानीय युवाओं की विशेष भागीदारी रही।

अपने विचार साझा करते हुए डॉ. पण्ड्या ने कहा कि भारतीय संस्कृति का वैश्वीकरण कोई नया विषय नहीं है, लेकिन अब यह एक संगठित और उद्देश्यपूर्ण आंदोलन का रूप ले रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले वर्षों में भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता विश्व में और अधिक प्रभावशाली रूप से अपनी छाप छोड़ेगी और इसमें भारत की युवा पीढ़ी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी।

Saturday, 26 July 2025

देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में ध्यान-साधना के साथ नवशैक्षणिक सत्र का शुभारंभ

देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में ध्यान-साधना के साथ नवशैक्षणिक सत्र का शुभारंभ

देवसंस्कृति विश्वविद्यालय (देसंविवि), शांतिकुंज में नवप्रवेशी विद्यार्थियों ने नवीन शैक्षणिक सत्र का आरंभ आध्यात्मिक वातावरण में ध्यान-साधना के माध्यम से किया। विश्वविद्यालय की परंपरा के अनुरूप भारत व नेपाल सहित विभिन्न देशों से आए सैकड़ों विद्यार्थियों ने युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य एवं वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा जी की पावन समाधि स्थल पर सामूहिक ध्यान में भाग लिया।

इस अवसर पर विद्यार्थियों ने ‘ज्योति अवधारण साधना’ के माध्यम से आत्मचिंतन और आंतरिक अनुशासन की दिशा में अपने पहले कदम बढ़ाए। देसंविवि में अद्वितीय पाठ्यक्रमों के साथ-साथ जीवन मूल्यों और आध्यात्मिक संस्कारों पर बल दिए जाने के कारण यह संस्था आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बनती जा रही है।

शांतिकुंज व्यवस्थापक योगेन्द्र गिरि ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रहे, बल्कि उसमें नैतिकता, आत्मविकास और सामाजिक उत्तरदायित्व का समावेश भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि देसंविवि शिक्षा के साथ संस्कारों को भी समाहित करता है, जिससे विद्यार्थी एक संपूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण कर सकें।

उन्होंने युग निर्माण सत्संकल्प के 18 सूत्रों की चर्चा करते हुए विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे अपने जीवन के अभीष्ट लक्ष्य को सदैव स्मरण में रखें। इस अवसर पर  उदय किशोर मिश्रा, सौरभ मिश्रा आदि वक्ताओं ने भी युवाओं का मार्गदर्शन किया।

शैक्षणिक सत्र की इस आध्यात्मिक शुरुआत से विद्यार्थियों में उत्साह, आत्मविश्वास और एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार देखने को मिला। उल्लेखनीय है कि देसंविवि के कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी स्वयं समय-समय पर कक्षाएं लेकर ‘जीवन प्रबंधन’, ‘गीता’, ‘रामचरितमानस’ आदि विषयों के माध्यम से विद्यार्थियों को जीवन के नवीन दृष्टिकोण प्रदान करते हैं।

Wednesday, 23 July 2025

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ‘१००८’ की ऐतिहासिक घोषणा — धर्म मामलों के लिए 'धर्मनिर्णयालय' की स्थापना

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ‘१००८’ की ऐतिहासिक घोषणा — धर्म मामलों के लिए 'धर्मनिर्णयालय' की स्थापना

धर्म के निर्णय अब धर्माचार्य करेंगे, न्यायालय का भार होगा कम


परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ ने आज एक ऐतिहासिक घोषणा करते हुए धार्मिक मामलों की सुनवाई के लिए ‘धर्मनिर्णयालय’ की स्थापना की औपचारिक घोषणा की है। मुंबई के बोरिवली स्थित कोरा केंद्र में आयोजित प्रेस वार्ता को वे संबोधित कर रहे रहे थे।

शंकराचार्य जी ने कहा कि "कोई समय था जब न राजा था, न न्यायाधीश, केवल धर्म ही समाज को नियंत्रित करता था। आज जब अदालतों में धार्मिक मामलों की गहराई को समझे बिना निर्णय होते हैं, तब यह आवश्यक हो गया है कि धर्म से जुड़े मुद्दों का निर्णय धर्माचार्य करें, न कि न्यायिक प्रोसीजर के अधीन।"



धर्मनिर्णयालय –एक नई पहल

शंकराचार्य जी ने स्पष्ट किया कि प्रयागराज कुम्भ पर्व के दौरान आयोजित परमधर्म संसद १००८ (26 जनवरी 2025) में धर्मनिर्णयालय की स्थापना का निर्णय लिया गया था। अब इसकी औपचारिक घोषणा की जा रही है। इस न्यायालय में धार्मिक विवादों का निपटारा धर्मशास्त्र, परंपरा और वेदों के आधार पर किया जाएगा।

‘गाय-गवय’ में भेद जरूरी

उन्होंने गाय और गवय के भेद पर भी विस्तार से बात की और सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी पर आपत्ति जताई जिसमें 'गाय में क्या भेद' कहा गया था।  “अगर सब दूध एक समान है, तो A2 और A1 मिल्क में भेद क्यों? गाय का दूध और कुत्ते का दूध बराबर क्यों नहीं माना जाता? जो मांसाहारी आहार लेने वाली संकर या विदेशी गायें हैं, वे भारतीय संस्कृति की दृष्टि से गौमाता नहीं कही जा सकतीं।”



गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग

शंकराचार्य जी ने भारत सरकार से गौमाता को ‘राष्ट्रमाता’ घोषित करने की भी पुरज़ोर माँग की। इसके लिए 33 कोटि आहुति यज्ञ का आयोजन देशभर में चल रहा है और मुंबई में भी गो-प्रतिष्ठा महायज्ञ प्रारंभ हो चुका है।

निर्दोष छूटे, तो दोषी का नाम भी सामने आना चाहिए

उन्होंने 2006 मुंबई ट्रेन बम विस्फोट की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि “यदि 19 वर्षों बाद 11 आरोपी बरी हुए, तो असली अपराधी कहाँ हैं? जब निर्दोष को छोड़ा जाता है, तो दोषी को भी उजागर करना न्याय का ही हिस्सा है।”



कबूतरों के अस्तित्व को मिटाना क्रूरता

वर्तमान में मुंबई में कबूतरों को भगाने या दाना न डालने की नीति पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि “पक्षियों को दाना डालना परंपरा रही है। शासक का कर्तव्य है कि वह सभी प्राणियों के अस्तित्व और सह-अस्तित्व का सम्मान करे। चीन में चिड़ियों को मारने से खाद्य श्रृंखला टूट गई थी – हमें प्रकृति से यह सबक लेना होगा।”

धर्म, संस्कृति और प्रकृति – तीनों के संरक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए शंकराचार्य जी ने आज जो उद्घोषणा की, वह भारतीय समाज की आत्मा की पुनर्स्थापना की दिशा में एक कदम है। उनका यह ऐतिहासिक संदेश देश की सामाजिक, धार्मिक और न्यायिक चेतना को एक नई दिशा देने वाला सिद्ध हो सकता है।

Tuesday, 22 July 2025

देसंविवि का 45वां ज्ञान दीक्षा समारोह सानंद संपन्न

देसंविवि का 45वां ज्ञान दीक्षा समारोह सानंद संपन्न

विद्यार्थियों के जीवन में एक नई दिशा और चेतना का आरंभ है ज्ञानदीक्षा संस्कार :  डॉ चिन्मय पण्ड्या

यह समय नये युग के लिए कदम बढ़ाने का अवसर : महंत बालकनाथ योगी

कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने नवप्रवेशी विद्यार्थियों को किया दीक्षित



देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुज में 45वां ज्ञान दीक्षा संस्कार समारोह अत्यंत श्रद्धा, गरिमा एवं उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ। समारोह का शुभारंभ यूपीईएस के कुलाधिपति डॉ सुनील राय, कुलपति शरद पारधी एवं प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। ज्ञानदीक्षा समारोह में बिहार, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, गुजरात, केरल, उप्र, उत्तराखण्ड, राजस्थान आदि राज्यों तथा नेपाल सहित कई देशों के छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।  


समारोह के मुख्य अतिथि बाबा मस्तनाथ विवि रोहतक के कुलाधिपति महंत बालकनाथ योगी ने कहा कि देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में आधुनिक शिक्षा के साथ भारतीय संस्कृति, संस्कार और अध्यात्म को समान रूप से महत्व दिया जाता है। यहाँ का वातावरण विद्यार्थियों को समग्र विकास की ओर प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि यह समय नये युग के लिए कदम बढ़ाने का अवसर है। यहाँ प्राप्त सद्ज्ञान के प्रकाश तथा भारत के वैभव, संस्कृति को विश्व भर में फैलायेंगे, ऐसा विश्वास है। श्री योगी व्यक्ति के जीवन का मूल मंत्र को जानने, समझने के लिए विविध उपाय सुझाया।


युवा आइकॉन डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि ज्ञान दीक्षा केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के जीवन में एक नई दिशा और चेतना का आरंभ है। यह संस्कार उन्हें विश्वविद्यालय के आदर्शों, अनुशासन और सेवा परंपरा से जोड़ता है। युवा आइकॉन ने कहा कि जीवन में जब भगवान आते हैं, तो सौभाग्य का अवतरण होता है और जो भगवान के सहयोगी बनते हैं, उनका नाम ही अमर होता है। कबीर, सुरदास, पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी आदि इसके प्रत्यक्ष उदाहरण है। पेट्रोलियम एवं उर्जा अध्ययन विवि के कुलाधिपति डॉ सुनील राय ने श्रद्धा, प्रसन्नता और रूपरेखा को मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण बताया।  इससे पूर्व कुलपति शरद पारधी ने समारोह में उपस्थित सभी विशिष्ट अतिथियों, अभिभावकों और सहयोगीगण का स्वागत किया।
इस अवसर पर देसंविवि के कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या स्नातक, परास्तानक एवं पीएचडी के नवप्रवेशी छात्र-छात्राओं से वर्चुअल जुड़े और वैदिक मंत्रोच्चारण एवं विधिपूर्वक ज्ञान दीक्षा प्रदान की।


समारोह की शुरुआत वैदिक मंगलाचरण के साथ प्रज्ञागीत से हुआ, जिसमें सभी विद्यार्थियों ने भाग लिया। दीक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ जीवन मूल्यों, सेवा-भावना एवं भारतीय संस्कृति के आदर्शों का बोध कराया गया। इस दौरान युवा आइकॉन डॉ चिन्मय पण्ड्या ने अतिथियों को गायत्री मंत्र चादर, युगसाहित्य एवं विवि के प्रतीक चिह्न आदि भेंटकर सम्मानित किया। अतिथियों ने रेनांसा, अनाहद पत्रिका का विमोचन किया। इस अवसर पर शांतिकुंज व्यवस्थापक योगेन्द्र गिरि, विश्वविद्यालय के प्राध्यापकगण, अधिकारीगण, अभिभावक तथा छात्र-छात्राएँ बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

Thursday, 17 July 2025

मुंबई में गो-प्रतिष्ठा महायज्ञ का भव्य शुभारम्भ शंकराचार्य जी के दिव्य सान्निध्य में

मुंबई में गो-प्रतिष्ठा महायज्ञ का भव्य शुभारम्भ शंकराचार्य जी के दिव्य सान्निध्य में

परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज के दिव्य सान्निध्य में मुंबई के कोराकेन्द्र स्थित चातुर्मास्य स्थल पर 100 कुण्डीय गो-प्रतिष्ठा महायज्ञ का विधिवत शुभारम्भ हुआ।

यह यज्ञ महाराष्ट्र मूल के काशीवासी कृष्ण यजुर्वेदाचार्य पं. श्री वीरेश्वर दातार के आचार्यत्व में प्रारंभ हुआ। आचार्य पं. अनिमेष जी एवं आचार्य पं. सुधीर जी भी इस यज्ञ में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।

परमाराध्य की ओर से नैष्ठिक ब्रह्मचारी परमात्मानंद जी यज्ञीय कर्मकाण्डों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। यज्ञ में मुंबई के प्रमुख पण्डितों सहित देश के विभिन्न भागों से आए वैदिक आचार्य भी सम्मिलित हुए हैं।

यह महायज्ञ प्रतिदिन प्रातः 9 बजे से प्रारम्भ होकर चातुर्मास्य भर चलेगा।

शंकराचार्य जी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शैलेन्द्र योगिराज सरकार ने बताया कि परमाराध्य का संकल्प है कि गौमाता के अंग-प्रत्यंगों में निवास करने वाले 33 करोड़ देवी-देवताओं को आहुतियाँ समर्पित की जाएँ। प्रयागराज कुंभ महापर्व में पूर्व में 2 करोड़ 62 लाख आहुतियाँ दी जा चुकी हैं, अब मुंबई में इस संख्या को और अधिक बढ़ाया जाएगा।

चातुर्मास्य आयोजकों द्वारा एक विशेष मोबाइल एप भी विकसित किया गया है, जिससे देश-विदेश में रहने वाले सनातनी श्रद्धालु इस यज्ञ में ऑनलाइन भागीदारी एवं सहयोग कर सकते हैं।

Friday, 11 July 2025

स्वानंद बाबा आश्रम में गुरुपूर्णिमा उत्सव का भव्य आयोजन

स्वानंद बाबा आश्रम में गुरुपूर्णिमा उत्सव का भव्य आयोजन

गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर स्वानंद बाबा आश्रम में श्रद्धा और भक्ति के वातावरण में समारोह का आयोजन किया गया। आश्रम के ट्रस्टी और बाबा के प्रमुख शिष्य प्रेम शुक्ल ने सपरिवार स्वानंद बाबा की समाधि का पूजन, दुग्धाभिषेक और हवन संपन्न कराया।

इस अवसर पर गायक शिवसागर मिश्र के नेतृत्व में संगीतमय सुंदरकांड पाठ आयोजित किया गया, जिसमें भक्तों ने भावविभोर होकर भाग लिया। पूरे वातावरण में भक्ति और श्रद्धा की मधुर गूंज सुनाई दी।

समारोह में प्रमुख रूप से पं. दुर्गाप्रसाद पाठक, शांति शुक्ला, प्रेम मेघनानी, आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली, श्री सिद्धिविनायक मंदिर के कोषाध्यक्ष आचार्य पवन त्रिपाठी, मुंबई भाजपा के प्रवक्ता उदय प्रताप सिंह, वरिष्ठ पत्रकार तुलसीदास भोईटे, अभय मिश्रा, विजय सिंह कौशिक, सूर्यप्रकाश मिश्र, आनंद मिश्रा, राजेश विक्रांत, श्रीनारायण तिवारी, वीरेंद्र मिश्रा, पुष्पराज मिश्रा, नागेंद्र शुक्ला, महेश शर्मा, राकेश पांडे, लोकगायक सुरेश शुक्ला,ओमप्रकाश मिश्र, अनिल मिश्र, दीपक सिंह, संजीव साहू, गुड्डू पाठक, संतोष पाठक, गामा मिश्र, सोनू सिंह सुरीला सहित अनेक श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का उद्देश्य गुरुतत्त्व के महत्व को उजागर करना और स्वानंद बाबा की शिक्षाओं का स्मरण करते हुए समाज में उनके संदेश को आगे बढ़ाना था।

Friday, 4 July 2025

बुंदेलखंड विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष राजा सीएम से मिले

बुंदेलखंड विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष राजा सीएम से मिले 

बुंदेलखंड में पर्यटन, फ़िल्म व खेलों सहित विभिन्न मुद्दों पर सीएम से चर्चा 

झाँसी। बुंदेलखंड विकास बोर्ड के उपाध्याक्ष राजा बुन्देला ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भेंट की। उन्होंने तरुणमित्र को जानकारी देते हुए बताया कि इस मुलाक़ात के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री से झाँसी से रामराजा सरकार ओरछा तक फोरलेन रोड सहित राज्य और बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बुंदेलखंड के विकास को लेकर बेहद गंभीर हैं और बुंदेलखंड एक्सप्रेशनवे, बीडा, डिफेन्स कॉरिडोर, जलजीवन मिशन परियोजना, सौर ऊर्जा प्लांट योजना जैसी अनेकों योजनाओं पर अरबों रूपये का निवेश कर रहे हैं। देश विदेश के उद्यमी बुंदेलखंड में निवेश कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से बुंदेलखंड में पर्यटन, फ़िल्म इंडस्ट्री, खेलों को बढ़ावा देने आदि की ओर भी ध्यान दिलाया। इस अवसर पर बुन्देली सेना के संयोजक डॉ आश्रयसिंह औन्ता भी उनके साथ मौजूद थे।

Monday, 23 June 2025

भारतीय सदविचार मंच द्वारा काजूपाड़ा बस्ती के विद्यार्थियों को निःशुल्क नोटबुक वितरण

भारतीय सदविचार मंच द्वारा काजूपाड़ा बस्ती के विद्यार्थियों को निःशुल्क नोटबुक वितरण

सामाजिक, साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्था भारतीय सदविचार मंच द्वारा दत्तक ली गई बस्ती जिवदानी नगर, काजूपाड़ा (घोड़बंदर रोड, ठाणे) के पहली से बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को संस्था के दहिसर (पूर्व) स्थित सभागार में निःशुल्क नोटबुक का वितरण किया गया। इस प्रेरणादायक कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के संस्थापक व मुख्य मार्गदर्शक डॉ. राधेश्याम तिवारी ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध आरटीआई कार्यकर्ता और वरिष्ठ पत्रकार अनिल गलगली उपस्थित रहे। संयोजन संस्था के अध्यक्ष डॉ. शिवश्याम तिवारी ने किया।

इस अवसर पर विशेष उपस्थिति में शिक्षाविद् डॉ. हृदयनारायण मिश्रा, समाजसेवी श्रीकांत पाण्डेय, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आर.के. चौबे, वरिष्ठ पत्रकारगण विनोद यादव व शिवपूजन पाण्डेय, समाजसेवी हरिशंकर तिवारी, शिक्षक प्रकोष्ठ संयोजक हरिप्रसाद पाण्डेय, पूर्व महामंत्री बी.पी. मिश्रा, युवा समाजसेवी ललित शुक्ला, ययीन पाठक, दीपक खेर, गुरुदेव मिश्रा, विनोद (पप्पू) तिवारी समेत अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन संस्था महामंत्री नागेन्द्र मिश्रा ने किया तथा आभार प्रदर्शन संस्था के उपाध्यक्ष पं. कमलाशंकर मिश्रा ने किया।

संस्था की कार्यकारिणी व शाखा संयोजकों में महेंद्रकुमार मिश्रा, मनोज चतुर्वेदी, हेमंत पाण्डेय, गणेश प्रसाद पाण्डेय, बी.एम. गुप्ता, रत्नेश दुबे, रामप्रकाश तिवारी, उमेश सिंह, डॉ. मनोज मिश्रा, अजय तिवारी, सूर्यप्रकाश (संतोष) मिश्रा, प्रमोद तिवारी व सचिन मोरे ने आयोजन को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई|

Sunday, 18 May 2025

पवन तिवारी को त्यागमूर्ति हिडिम्बा के लिए अग्निशिखा मंच द्वारा मिला आचार्य चतुरसेन शास्त्री पुरस्कार – २०२५

पवन तिवारी को त्यागमूर्ति हिडिम्बा के लिए अग्निशिखा मंच द्वारा मिला आचार्य चतुरसेन शास्त्री पुरस्कार – २०२५ 

मुलुंड (प.) स्थित मुक्तेश्वर महादेव मंदिर के प्रांगण में अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच की ओर से तथा संजय दुबे के संयोजन में आचार्य चतुरसेन शास्त्री पुरस्कार समारोह का गरिमापूर्ण आयोजन किया गया. अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के उपरान्त कवयित्री पल्लवी रानी ने माँ शारदा की सुंदर वन्दना प्रस्तुत की. उसके बाद अतिथियों का स्वागत परम्परागत शैली में शाल और तुलसी का पौधा भेंट करके किया गया. 

अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच की ओर से प्रारम्भ किये गये पहले आचार्य चतुरसेन शास्त्री पुरस्कार २०२५ पवन तिवारी को दिए जाने पर वरिष्ठ साहित्यकार हरीश पाठक प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह सर्वथा श्रेष्ठ निर्णय है. इसके लिए मैं चयन समिति का आभार प्रकट करता हूँ. जिस तरह पवन तिवारी पूरे समर्पण और निष्ठा पूर्वक साहित्य साधना में लगे हैं. उसे देखते हुए मैं कह सकता हूँ कि इन्हें भविष्य में ज्ञानपीठ पुरस्कार भी मिल सकता है. जिस स्तर का इनका शोध व चिन्तन है, वह नये लेखकों के लिए प्रेरणा दायक है. पवन तिवारी को अपने हाथों पुरस्कृत करते हुए मुझे बड़ी ख़ुशी हो रही है. संस्था अध्यक्ष अलका पाण्डेय को मैं विगत ४० वर्षों से जानता हूँ. उन्होंने समाज और साहित्य की लम्बे समय से निस्स्वार्थ सेवा की है. साहित्य में नई प्रतिभाओं को उन्होंने सतत प्रोत्साहन दिया है. आज के इस महत्त्वपूर्ण आयोजन के लिए अलका पाण्डेय, अग्निशिखा मंच और पुनः भाई पवन तिवारी को अनेक बधाई देता हूँ. सभी अतिथियों एव वक्ताओं ने पवन तिवारी के लेखन और व्यक्तित्त्व की सराहना करते हुए बधाई दी. 

संस्था की अध्यक्ष अलका पाण्डेय ने अपने प्रस्तावना उद्बोधन में कहा कि मैंने पवन तिवारी की अब तक प्रकाशित सभी कृतियाँ खरीद करके पढ़ी हैं. उनमें प्रतिभा का भंडार है, किंतु जब मैंने त्यागमूर्ति हिडिम्बा पढ़ी तो में आश्चर्य से भर गयी. उनके लेखन में शिल्प और भाषा के साथ कथ्य की ऐसी शानदार बुनावट है कि उस बुनाई में पाठक भी उस बुनाई का हिस्सा हो जाता है और फिर हिडिम्बा जैसे उपेक्षित स्त्री पात्र को पवन जी ने न केवल सम्मान दिया बल्कि अपनी लेखनी से प्रतिष्ठित किया. वह अभिनंदन के योग्य है. मैंने तभी निश्चय कर लिया था कि इस कृति और कृतिकार का सम्मान होना चाहिए और आज वह कल्पना फलीभूत होते देखकर मैं प्रसन्न हूँ. 


उसके पश्चात यह पुरस्कार चर्चित युवा साहित्यकार को अपने बहुचर्चित कृति त्यागमूर्ति हिडिम्बा के लिए समारोह अध्यक्ष हरीश पाठक के हाथों एवं समाजसेवी डॉ बाबूलाल सिंह, वरिष्ठ कवि डॉ. अशोक तिवारी, वरिष्ठ रचनाकार कमलेश पाठक, वरिष्ठ कवि रामप्यारे सिंह रघुवंशी के सानिध्य में आचार्य चतुरसेन शास्त्री पुरस्कार – २०२५  प्रदान किया गया. समारोह का उत्कृष्ट संचालन कुमार जैन ने किया.  

इस समारोह की अध्यक्षता हरीश पाठक ने की. मुख्य अतिथि रही कमलेश पाठक, मुख्य वक्ता रहे रामप्यारे सिंह रघुवंशी, विशेष अतिथि रहे डॉ. अशोक तिवारी, दिव्या जैन एवं बाबूलाल सिंह. ज्ञात हो कि पवन तिवारी को अपने पहले उपन्यास अठन्नी वाले बाबूजी के लिए महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के जैनेन्द्र पुरस्कार सहित अनेक राष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हो चुके हैं. 

वरिष्ठ समाजसेवक डॉ. बाबूलाल सिंह ने कहा कि मैं पवन जी को तब से देख रहा हूँ जब वे नाईट स्कूल में नौवीं कक्षा के छात्र थे. उनका यह तक का सफर प्रेरणादायक है. मैं उन्हें बधाई देता हूँ. संजय दुबे ने अपने जोश पूर्ण व्यक्तव्य से सब को आकर्षित किया. उन्होंने कहा मैं मंच से 30 वर्षों से जुड़ा हूं. मेरी शादी के पहले से कई आंदोलनों का हिस्सेदार हूं. मैं यह पुस्तक अवश्य पढूंगा और जब कभी मेरी सेवाओं की आवश्यकता होगी में मंच के साथ खड़ा रहूंगा. 

पवन तिवारी पुरस्कृत होने के बाद अपने उद्बोधन के समय थोड़े भावुक भी हो गये. उन्होंने कहा कि इसी मुलुंड में कभी स्ट्रीट लाईट के नीचे पढ़ते हुए नाईट स्कूल में नौंवी की परीक्षा दी थी. आज उसी मुलुंड में पुरस्कृत होते हुए अच्छा लग रहा है. 

जन भाषा प्रचार समिति के अध्यक्ष एव वरिष्ठ कवि नंदलाल क्षितिज, कलमकार संस्था के अध्यक्ष वरिष्ठ रचनाकार रामस्वरूप साहू, नवांकुर संस्था की अध्यक्ष लक्ष्मी यादव, राष्ट्रीय काव्य परिषद के अध्यक्ष रमाकांत ओझा लहरी, कार्यक्रम के संयोजक एवं मुलुंड नागरिक सभा के अध्यक्ष संजय दुबे, वरिष्ठ कवि हैरान जौनपुर, सदाशिव चतुर्वेदी, हेरम्ब तिवारी, ओमप्रकाश सिंह, ओम प्रकाश तिवारी, कल्पेश यादव, प्रज्ज्वल वागदरी, सत्यवती मौर्य, मृदुला मिश्रा, प्रभा शर्मा, शिल्पा सोनटक्के, नीरजा ठाकुर, क्राइम प्वाइंट की सम्पादक कमलेश गुप्ता, वेस्टर्न आब्जर्वर के सम्पादक प्रमेन्द्र सिंह सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति इस समारोह के साक्षी रहे. कवयित्री प्रभा शर्मा एव वरिष्ठ रचनाकार शिल्पा सोनटक्के ने पवन तिवारी का व्यक्तिगत रूप से भी सम्मान किया. आभार व्यक्त मंच की सदस्य नीरजा ठाकुर ने किया.

पवन तिवारी का जीवन बड़ा संघर्षमय रहा. वे विषम पारिवारिक परिस्थितियों १५ साल की उम्र में उत्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर के जहाँगीर गंज के अलाउद्दीनपुर से मुंबई आ गये और मजदूरी करके नाईट स्कूल में पढ़ाई करते हुए लेखन जारी रखा और आज इस स्तर तक पहुंचना निश्चित ही समाज के लिए उनका व्यक्तित्त्व प्रेरणादायक है.