Tuesday, 8 April 2025

राजे शिवाजी वॉरियर्स’ बना विजेता, ‘लायन्स बॉयज’ उपविजेता

राजे शिवाजी प्रीमियर लीग 2025 : ‘राजे शिवाजी वॉरियर्स’ बना विजेता, ‘लायन्स बॉयज’ उपविजेता

कुर्ला पश्चिम के कमानी सुंदरबाग क्षेत्र में राजे शिवाजी मित्र मंडल की ओर से आयोजित राजे शिवाजी प्रीमियर लीग 2025 (RSPL 2025) बॉक्स क्रिकेट टूर्नामेंट को शानदार प्रतिसाद मिला। इस प्रतियोगिता में कुल सात टीमों ने भाग लिया — राजे बॉयज, मराठा वॉरियर्स, चिंतामणि बॉयज, राजे शिवाजी वॉरियर्स, लायन्स बॉयज, फाइटर 70 से और चार्ली बॉयज।

इस प्रतियोगिता का फाइनल मुकाबला काफी रोमांचक रहा, जिसमें ‘राजे शिवाजी वॉरियर्स’ ने शानदार प्रदर्शन करते हुए विजेता का खिताब अपने नाम किया, जबकि ‘लायन्स बॉयज’ को उपविजेता स्थान प्राप्त हुआ। बच्चों के लिए आयोजित विशेष टूर्नामेंट में ‘चिंता टाइगर्स’ टीम ने पहला स्थान हासिल किया।

कार्यक्रम में अपना फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष परेश चौधरी, डॉ. डीएन महाजन, पूर्व नगरसेवक हरीश भांदिर्गे, शिवसेना शाखाप्रमुख साईनाथ कटके और वरिष्ठ आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। सभी अतिथियों ने विजेता टीमों को शुभकामनाएं देते हुए आयोजकों की सराहना की।

इस प्रतियोगिता को सफल बनाने में मंडल के अध्यक्ष विकास सावंत, संस्थापक भाई साखरकर, सचिव राकेश व्हटकर, कोषाध्यक्ष अजय गावकर, उपाध्यक्ष प्रशांत गायकर, उपसचिव प्रसाद अन्सुरकर, और मंडल के सदस्य संतोष दरवेश, वैभव खोपकर, विनायक साखरकर, प्रवीण धुरी, प्रणय राणे, रुणाल इंचले व प्रितेश विनेरकर ने विशेष मेहनत की।

Wednesday, 19 March 2025

महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा किया गया पुरस्कार वितरण समारोह

महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा किया गया पुरस्कार वितरण समारोह

महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा सन 2024-25 इस वर्ष का “पुरस्कार वितरण समारोह” बांद्रा पश्चिम स्थित रंगशारदा सभागार में संपन्न हुआ। इस समारोह की अध्यक्षता सांस्कृतिक कार्य विभाग मंत्री तथा अकादमी के अध्यक्ष ॲड. आशिष शेलार जी ने की ।  इस अवसर में पूर्व राज्यमंत्री अमरजीत मिश्र, अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे, उपाध्यक्ष श्रीमती मंजू लोढा, माहिती अधिकारी कार्यकर्ता अनिल गलगली, अकादमी सदस्य तथा वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुधाकर मिश्र और प्रसिध्द लेखक  विमल मिश्र आदि मान्यवर उपस्थित थे।

महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी जल्दी ही भारतरत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में विशेष भाषा शिखर साहित्य सम्मान प्रदान करेगी। यह सम्मान हिंदी साहित्य में अतुलनीय योगदान देने वाले मूर्धन्य साहित्यकार को प्रदान किया जायेगा। यह महत्वपूर्ण घोषणा महाराष्ट्र सरकार के सांस्कृतिक कार्य मंत्री एड आशीष शेलार ने महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए की।महाराष्ट्र के सांस्कृतिक कार्य मंत्री आशीष शेलार ने इस मौके पर अपने सम्बोधन में कहा कि महाराष्ट्र की भूमि मराठी के साथ-साथ हिंदी साहित्य और भाषा के संवर्धन के लिए भी प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र देश का केवल एकमेव ऐसा राज्य है, जहॉं दस भाषाओं की अकादमियॉं सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इन सभी भाषाओं के संवर्धन हेतु महाराष्ट्र सरकार अधिकाधिक प्रयास करती दिखेगी। शेलार ने कहा कि भाषा समाज को जोडने और संस्कारों के संवर्धन का महत्वपूर्ण माध्यम है। इसलिए अच्छे बाल साहित्य की निर्मिती पर अधिक ज़ोर दिया जाना चाहिये, ताकि हमारी आने वाली पीढी भी छत्रपति संभाजी राजे और तारा रानी जैसे महानायकों तथा भारत की समृद्ध एवं अनमोल धरोहर से परिचित हो सके।

इस अवसर पर सभी का स्वागत करते हुए महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे ने अकादमी की विभिन्न गतिविधियों और योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस समारोह में कुल 46 साहित्यकारों को सम्मानित किया जा रहा है और विशेष उल्लेखनीय बात यह है कि इस साल से विभिन्न पुरस्कारों की राशि दो गुना कर दी गई है। इसके फलस्वरूप सर्वोच्च पुरस्कार दो लाख रुपये का दिया जा रहा है। कार्याध्यक्ष डाॅ. दुबे ने पुरस्कार राशि में इस उल्लेखनीय बढ़ोतरी के लिए महाराष्ट्र सरकार का आभार व्यक्त किया। पुरस्कार वितरण समारोह की शुरुआत सांस्कृतिक राज्य मंत्री और विभिन्न गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन और महाराष्ट्र राज्य गीत के साथ हुई। इस अवसर पर पुण्य श्लोका अहिल्यादेवी होलकर की 300 वीं जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में सुरुचिपूर्ण नाटक के प्रभावशाली मंचन ने सभी को अभिभूत कर दिया। सूत्र संचालन वरिष्ठ पत्रकार प्रसाद काथे एवं आनंद सिंह ने चरणबद्ध तरीके से की। आभार सचिव सचिन निंबालकर ने माना।

महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी व्दारा कुल 46 पुरस्कार प्रदान किए गए । इस वर्ष का “अखिल भारतीय सन्मान जीवनगौरव पुरस्कार” में 'महाराष्ट्र भारती अखिल भारतीय हिंदी सेवा पुरस्कार' रामकृष्ण सहस्त्रबुध्दे और डॉ. 'राममनोहर त्रिपाठी अखिल भारतीय हिंदी सेवा पुरस्कार' प्रो. डॉ. श्रीराम परिहार का प्रदान किए गए । “राज्य स्तरीय सम्मान जीवनगौरव पुरस्कार” के अंतर्गत 'छत्रपती शिवाजी महाराज राष्ट्रीय एकता पुरस्कार' राजेश कुमार मिश्र उर्फ राजेश विक्रांत को,  'साने गुरूजी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार'  ऋषिकुमार मिश्र को, 'पद्मश्री अनंत गोपाल शेवडे हिंदी सेवा पुरस्कार'  डॉ. संजय सिंह को,  'डॉ उषा मेहता हिंदी सेवा पुरस्कार' डॉ. सुस्मिता भट्टाचार्य को, 'गजानन माधव मुक्तिबोध मराठी भाषी हिंदी लेखक पुरस्कार' प्रो. (डॉ) विजय रोडे को, 'कांतीलाल जोशी इतर हिंदी भाषी हिंदी लेखक पुरस्कार' गीता माणेक को,  'व्ही शांताराम ललित कला हिंदी विशिष्ट सेवा पुरस्कार' अखिलेंद्र मिश्र को,  'सुब्रमण्य भारती हिंदी सेतु विशिष्ट सेवा पुरस्कार'  श्रीमती शीला डोंगरे को प्रदान किए गए।  'विधा पुरस्कार' के अंतर्गत 'काव्य' के लिए दिया जानेवाला 'संत नामदेव पुरस्कार' अमर कृपाशंकर त्रिपाठी को स्वर्ण, श्री सत्यदेव विजय सिंह (सत्यदेव विजय) को रजत और  ठाकुर भरत सिंह को कांस्य पुरस्कार प्रदान किए गए।  'उपन्यास' के लिए दिया जानेवाला 'जैनेन्द्र कुमार पुरस्कार' वीरेन्द्र ओझा को स्वर्ण, श्रीमती रेखा बैजल को रजत और कोत्तापल्ली लता -(लता तेजेश्वर "रेणुका") को कांस्य पुरस्कार प्रदान किए गए।  'कहानी' के लिए दिया जानेवाला 'मुंशी प्रेमचंद पुरस्कार' श्यामलता गुप्ता को स्वर्ण, हरि मृदुल को रजत, पारमिता षड़ंगी (अर्चना मिश्र) और डॉ. वर्षा पुनवटकर को कांस्य पुरस्कार विभाजित प्रदान किए गए।  'निबंध' के लिए दिया जानेवाला 'आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार' अलका रागिनी को स्वर्ण, डॉ. आभा सिंह को रजत और डॉ. फ़य्याज़ अहमद फ़ैज़ी को कांस्य पुरस्कार प्रदान किए गए। 'समीक्षा' के लिए दिया जानेवाला 'आचार्य नंददुलारे वाजपेयी पुरस्कार' डॉ. अवधेश कुमार राय को स्वर्ण, डॉ. सुधीर वाघ को रजत और  प्रो.डॉ. बालाजी श्रीपती भुरे को कांस्य पुरस्कार प्रदान किए गए।  'अनुवाद' के लिए दिया जानेवाला 'मामा वरेरकर पुरस्कार' सेवक नैयर को स्वर्ण, शेषनारायण उर्फ शशि मुरलीधर निघोजकर को रजत,  डॉ. प्रेरणा उबाले को कांस्य पुरस्कार प्रदान किए गए। 'वैज्ञानिक तकनीकी' के लिए दिया जानेवाला 'होमी जहांगीर भाभा रजत पुरस्कार' डॉ. अमरीश सिन्हा को प्रदान किए गए।  'हिंदी भाषा संबंधी लेखन' के लिए दिया जानेवाला 'पं. महावीर प्रसाद व्दिवेदी पुरस्कार'  डॉ. मनोज पाण्डेय को स्वर्ण और डॉ. मीना राजपूत को कांस्य पुरस्कार प्रदान किए गए ।  'नाटक' के लिए दिया जानेवाला 'विष्णुदास भावे स्वर्ण पुरस्कार' डॉ. पूजा हेमकुमार अलापुरिया (हेमाक्ष) को प्रदान किए गए।  'जीवनी-परक साहित्य' के लिए दिया जानेवाला 'काका कालेलकर रजत पुरस्कार' डॉ. राजेंद्र प्रताप सिंह को स्वर्ण, मांगीलाल जगमालाराम बिश्नोई को रजत और भगवान वैद्य (प्रखर) को कांस्य पुरस्कार प्रदान किए गए।  'पत्रकारिता-कला' के लिए दिया जानेवाला 'बाबुराव विष्णु पराडकर स्वर्ण पुरस्कार' डॉ. शैलेंद्र दुबे को प्रदान किए गए ।  'बालसाहित्य' के लिए दिया जानेवाला 'सोहनलाल व्दिवेदी पुरस्कार' रीता अमर कुशवाहा को स्वर्ण, विपुल सेन ( कवि विपुल लखनवी ) को रजत और रोचिका अरुण शर्मा को कांस्य पुरस्कार प्रदान किए गए।  'लोकसाहित्य' के लिए दिया जानेवाला 'फणीश्वरनाथ रेणू पुरस्कार' मदन गोपाल गुप्ता (अकिंचन) को स्वर्ण, हेमलता मिश्र "मानवी" को रजत और शामराव नारायणराव रावले  (श्याम रावले "सुंदर") को कांस्य प्रदान किए गए । 'राष्ट्रभक्ती पर आधारित लेखन' के लिए दिया जानेवाला 'शशिभूषण वाजपेयी हिंदी लेखक पुरस्कार' कृष्ण प्रकाश को स्वर्ण, श्रीमती रेणु शर्मा को रजत और प्रतीक राजीव मिश्रा  (कुमार प्रतीक) को कांस्य प्रदान किए गए। 

समारोह में हिंदी साहित्य के विकास और उसके संवर्धन को लेकर विशेष चर्चा हुई। अतिथियों ने हिंदी साहित्य के समकालीन परिदृश्य पर अपने विचार रखे और साहित्यकारों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए बधाई दी। इस गरिमामयी कार्यक्रम में महाराष्ट्र के अनेक साहित्यकार, विद्वान, पत्रकार एवं साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

Monday, 17 March 2025

उर्स शहीद-ए-राहे मदीना आयोजित

उर्स शहीद-ए-राहे मदीना आयोजित 

काइद-ए-कौमे मिल्लत, पीर-ए-तारीकत अल्लामा शाह सैयद अनवर अशरफ उर्फ मुसन्ना मियां की याद में 22वां सालाना उर्स शहीद-ए-राहे मदीना हर वर्ष आयोजित किया जाता है। 

इस बार उर्स के मौके पर सांसद अरविंद सावंत, प्रो वर्षा गायकवाड, संजय पाटील, पूर्व मंत्री मोहम्मद आरिफ़ नसीम खान, छगन भुजबल, डॉ जितेंद्र आव्हाड, शिवसेना विधायक सचिन अहिर, अमीन पटेल, पंकज भुजबल, भाई जगताप, मनोज जामसूतकर, एड यूसुफ अब्राहनी, जीशान सिद्दीकी, आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली, डॉ माचिसवाला, प्रो अब्दुल कादर, इब्राहिम भाईजान, सईद नूरी, निजामुद्दीन राईन, हाजी अराफत शेख, वरिष्ठ पत्रकार अनुराग त्रिपाठी, अकरम खान, बाबू बत्तेली, अबु स्वालेह आदि उपस्थित थे। 

मौलाना सैयद मोईनुद्दीन अशरफ के मार्गदर्शन में पिछले 22 वर्षों से ग्रँटरोड के बिलाल मस्जिद स्थित ईदगाह मैदान में यह उर्स शहीद-ए-राहे मदीना आयोजित किया जाता हैं। हर क्षेत्र से जुड़े सामाजिक सरोकार रखनेवाले मान्यवर न सिर्फ शामिल होते हैं बल्कि हजरत मोईन मियां द्वारा नशाखोरी के खिलाफ अभियान का हिस्सा बन जाते हैं।

इस उर्स की खासियत यह हैं कि हिंदुस्तान के कोने कोने से सूफी संत शामिल होते हैं। महाराष्ट्र के तमाम राजनीतिक दल के नेता भी शिरकत करते हैं। मस्जिदों के इमाम और दरगाह के उत्तराधिकारी विशेष तौर पर सम्मिलित होते हैं। महाराष्ट्र पुलिस के तमाम आला अफसर उर्स में उपस्थिति दर्ज कराते हैं।

Sunday, 9 March 2025

महिला दिवस के अवसर पर ‘सतत विकास लक्ष्य परिचय कार्यक्रम’ सफलतापूर्वक संपन्न

महिला दिवस के अवसर पर ‘सतत विकास लक्ष्य परिचय कार्यक्रम’ सफलतापूर्वक संपन्न

रुग्ण मित्र संचालित प्रसन्न फाउंडेशन और अनिद् य कोचिंग इंस्टिट्यूट के संयुक्त तत्वावधान में ‘सतत विकास लक्ष्य परिचय कार्यक्रम’ का आयोजन चेंबूर सिंधी कैंप सोसायटी में उत्साहपूर्वक संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन श्रद्धा अष्टीवकर और डॉ. छाया भटनागर ने किया था।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली, रुग्ण मित्र सामाजिक कार्यकर्ता विनोद साडविलकर और गणेश सानप उपस्थित रहे। मार्गदर्शक के रूप में सिद्धेश परब ने कार्यशाला को दिशा दी।

इस कार्यक्रम के तहत सरकारी योजनाओं और सेवाओं का प्राथमिक परिचय दिया गया। इसमें शिक्षा, बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं, बीमा, व्यवसाय और उद्यमिता, स्वास्थ्य और कल्याण, कृषि, ग्रामीण और पर्यावरण, सार्वजनिक सुरक्षा, कानून और न्याय, सामाजिक कल्याण और सशक्तिकरण, विज्ञान, आईटी, खेल, संस्कृति, कौशल विकास, रोजगार, यात्रा और पर्यटन जैसे विषयों को शामिल किया गया।

इस पहल का उद्देश्य युवा पीढ़ी और जरूरतमंद लोगों को सामाजिक संगठनों के माध्यम से कार्यशालाओं का आयोजन कर जागरूक करना है। इसके साथ ही सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत विभिन्न जिलों में सतत विकास लक्ष्यों को लागू करने के लिए परियोजना प्रबंधन, बजट और समन्वय जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

इस कार्यक्रम में अनिद् य कोचिंग इंस्टिट्यूट की दीपाली पवार, पूर्वी गायकवाड़, रेणु गुप्ता, आर्या केसर, लक्ष रामास्वामी, शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। साथ ही रुग्ण मित्र साथी संस्थान के रमेश चव्हाण, प्रज्वला इंगले, शांताराम मोरे, किरण गिरकर, चारुदत्त पावसकर, हेमलता गाडेकर, श्रीविद्या सरवणकर, गोविंद मोरे, हर्षल जाधव, जयकिशन डुलगच, महेंद्र पवार, कमलेश सालकर, मनीषा साडविलकर, पूजा निकाळजे, प्रकाश राणे, किरण सालवे सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।

महिला दिनानिमित्त शाश्वत विकास ध्येये परिचय कार्यक्रमाचे आयोजन

महिला दिनानिमित्त शाश्वत विकास ध्येये परिचय कार्यक्रमाचे आयोजन

रुग्ण मित्र संचालित प्रसन्न फाउंडेशन आणि अनिद् य कोचिंग इन्स्टिट्यूट यांच्या संयुक्त विद्यमाने ‘शाश्वत विकास ध्येये परिचय कार्यक्रम’ चेंबूर सिंधी कॅम्प सोसायटी येथे उत्साहात संपन्न झाला. श्रद्धा अष्टीवकर व डॉ. छाया भटनागर यांनी या कार्यक्रमाचे आयोजन केले होते.

कार्यक्रमाचे प्रमुख अतिथी म्हणून माहिती अधिकार कार्यकर्ता अनिल गलगली, तसेच रुग्ण मित्र सामाजिक कार्यकर्ता विनोद साडविलकर आणि गणेश सानप उपस्थित होते. मार्गदर्शक म्हणून सिद्धेश परब यांनी कार्यशाळेला दिशा दिली.

या कार्यक्रमात शासनाच्या विविध योजना आणि सेवा यांचा प्राथमिक परिचय देण्यात आला. यात शिक्षण, बँकिंग, वित्तीय सेवा, विमा, व्यवसाय आणि उद्योजकता, आरोग्य आणि कल्याण, कृषी, ग्रामीण आणि पर्यावरण, सार्वजनिक सुरक्षा, कायदा आणि न्याय, समाज कल्याण व सक्षमीकरण, विज्ञान, आयटी, क्रीडा, संस्कृती, कौशल्य विकास, रोजगार, प्रवास आणि पर्यटन यांचा समावेश होता.

युवा पिढी आणि गरजूंसाठी सामाजिक संस्थांच्या माध्यमातून कार्यशाळांचे आयोजन करून त्यांना साक्षर करण्याचा मानस या उपक्रमामागे आहे. कंपनी सामाजिक दायित्वातून (CSR) विविध जिल्ह्यांत शाश्वत विकास ध्येये राबवण्यासाठी आर्थिक पाठबळ मिळावे यासाठी प्रकल्प नियोजन, ताळेबंद आणि समन्वयाच्या महत्त्वपूर्ण गोष्टींवर भर देण्यात आला.

कार्यक्रमाला अनिद् य कोचिंग इन्स्टिट्यूटच्या दीपाली पवार, पूर्वी गायकवाड, रेणू गुप्ता, आर्या केसर, लक्ष रामास्वामी यांसह शिक्षक, विद्यार्थी-पालक मोठ्या संख्येने उपस्थित होते. रुग्ण मित्र साथी संस्थेचे रमेश चव्हाण, प्रज्वला इंगळे, शांताराम मोरे, किरण गिरकर, चारुदत्त पावसकर, हेमलता गाडेकर, श्रीविद्या सरवणकर, गोविंद मोरे, हर्षल जाधव, जयकिशन डुलगच, महेंद्र पवार, कमलेश साळकर, मनीषा साडविलकर, पूजा निकाळजे, प्रकाश राणे, किरण साळवे यांनीही सहभाग घेतला.

Saturday, 8 March 2025

शौर्य बहुउद्देशीय सेवाभावी संस्थेचा द्वितीय वर्धापनदिन उत्साहात संपन्न

शौर्य बहुउद्देशीय सेवाभावी संस्थेचा द्वितीय वर्धापनदिन उत्साहात संपन्न

चेंबूर हायस्कूलच्या डॉ. केशव हेगडेवार सभागृहात सभागृहात शौर्य बहुउद्देशीय सेवाभावी संस्थेच्या द्वितीय वर्धापनदिन सोहळ्याचे भव्य आयोजन करण्यात आले. या सोहळ्याचे उद्घाटन प्रख्यात माहिती अधिकार कार्यकर्ता अनिल गलगली यांच्या हस्ते झाले.

कार्यक्रमाला समाज विकास अधिकारी कविता कर्दळे, डॉ. कॅरेन टेरी रझा, भूषणा पाठारे, छाया भटनागर, विनोद साडविलकर, कृष्णा कदम, डॉ. छाया भटनागर आदी मान्यवर उपस्थित होते. कार्यक्रमाचे अध्यक्षस्थान धनंजय पवार यांनी भूषवले, तर संस्थेचे अध्यक्ष किरण साळवे यांनी आयोजनाची जबाबदारी सांभाळली.

संस्थेच्या दोन वर्षांतील सामाजिक कार्याचा आढावा दृकश्राव्य माध्यमातून सादर करण्यात आला. विशेषतः अंध विद्यार्थ्यांनी सादर केलेल्या सुमधुर संगीताने उपस्थितांना मंत्रमुग्ध केले. सामाजिक कार्यात उल्लेखनीय योगदान देणाऱ्या संस्था प्रमुखांचा शाल, सन्मानचिन्ह आणि प्रशस्तीपत्र देऊन गौरव करण्यात आला.

कार्यक्रमाच्या यशस्वी आयोजनात अनिट्य कोचिंग इन्स्टिट्यूटच्या डॉ. छाया भटनागर यांच्या विद्यार्थिनींनी महत्त्वपूर्ण भूमिका बजावली.

Thursday, 20 February 2025

स्वराज्य और धर्म के सजग पहरेदार थे धर्मवीर संभाजी महाराज

स्वराज्य और धर्म के सजग पहरेदार थे धर्मवीर संभाजी महाराज

"छावा" सिनेमा केवल एक ऐतिहासिक कहानी नहीं, बल्कि वीरता, बलिदान और अदम्य साहस का जीवंत चित्रण है। यह फिल्म धर्मवीर संभाजी महाराज के जीवन के अंतिम क्षणों को बेहद प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है, जिससे दर्शकों के मन में राष्ट्रप्रेम और गर्व की भावना जागृत होती है। फिल्म "छावा" के निर्माता लक्ष्मण उतेकर हैं और इसके निर्देशक दिनेश विजान हैं। यह ऐतिहासिक फिल्म धर्मवीर संभाजी महाराज के जीवन और बलिदान पर आधारित है। फिल्म "छावा" का संगीत मशहूर संगीतकार ए.आर. रहमान ने दिया है। उनकी धुनें ऐतिहासिक माहौल को और भी प्रभावशाली बनाती हैं, जिससे फिल्म का हर दृश्य भावनात्मक और जोशीला बन जाता है।

झकझोर देने वाला अंत

फिल्म का अंतिम दृश्य दिल दहला देने वाला है। मुगलों द्वारा किए गए अत्याचारों के बावजूद, धर्मवीर संभाजी महाराज ने निष्ठा से कभी समझौता नहीं किया। उनकी आंखें निकाल दी गईं, जुबान काट दी गई, फिर भी वे झुके नहीं। यह सिर्फ एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि स्वराज्य और धर्म के प्रति उनकी निस्वार्थ भक्ति का प्रतीक है।

कलाकारों का दमदार अभिनय

हर अभिनेता ने अपनी भूमिका को पूरी शिद्दत से निभाया है, जिससे यह फिल्म और भी प्रभावी बन जाती है। विकी कौशल ने संभाजी महाराज की भूमिका में जान डाल दी है। उनकी भाव-भंगिमाएं, संवाद अदायगी और युद्ध के दृश्यों में उनके अभिनय ने यह अहसास दिलाया कि अगर संभाजी महाराज स्वयं हमारे सामने होते, तो वे ऐसे ही अडिग और साहसी होते।

अक्षय खन्ना ने औरंगजेब की भूमिका में क्रूरता की चरम सीमा को छू लिया है। उनके अभिनय में औरंगजेब की निर्दयता और दुष्टता बखूबी झलकती है। खासतौर पर संभाजी महाराज की मृत्यु के बाद उनके भीतर की असहजता और सहनशीलता के अंत को प्रभावशाली ढंग से दिखाया गया है।

रश्मिका मंदाना ने येशुबाई की भूमिका में गजब का काम किया है। उनके संवादों में पति के प्रति प्रेम, अभिमान और वीरांगना का तेज झलकता है। उन्होंने इस किरदार को पूरी तरह से न्याय दिया है।

विनीत सिंह ने कवि कलश के रूप में उत्कृष्ट अभिनय किया है। उनकी कविताएं और संवाद हर दृश्य को प्रेरणादायक बनाते हैं। उनकी आवाज़ और अभिव्यक्ति ने इस चरित्र को एक अलग ऊंचाई दी है।

इतिहास का कड़वा सच – गद्दारी तब भी थी, और आज भी है

फिल्म यह भी दर्शाती है कि वीरों की राह में केवल युद्ध ही नहीं, बल्कि गद्दारी भी सबसे बड़ा खतरा होती है। तब भी कुछ स्वार्थी तत्वों के कारण संभाजी महाराज औरंगजेब के हाथों में पड़े थे, और आज भी समाज में ऐसे लोग मौजूद हैं जो अपने निजी स्वार्थ के लिए किसी के भी साथ धोखा कर सकते हैं।

"छावा" सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक प्रेरणा

यह सिनेमा दर्शकों को इतिहास के उन स्वर्णिम और रक्तरंजित पलों से जोड़ता है, जब हिंदवी स्वराज्य की रक्षा के लिए एक सच्चे योद्धा ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। यह फिल्म केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और प्रेरणादायक अनुभव है, जो हर भारतीय के दिल में गर्व और जोश भर देता है।

अनिल गलगली

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Saturday, 15 February 2025

बॉलीवूडचे हिरो हे आपल्या आयुष्यातील हिरो असता कामा नये- समीर वानखेडे

बॉलीवूडचे हिरो हे आपल्या आयुष्यातील हिरो असता कामा नये- समीर वानखेडे

अंमली पदार्थ विरोधी मोहिमेअंतर्गत डहाणूकर महाविद्यालय येथे व्याख्यान

भारत विकास परिषद विलेपार्ले शाखा आणि डहाणूकर महाविद्यालय यांच्या संयुक्त विद्यमाने अंमली पदार्थ विरोधी मोहिमेअंतर्गत डहाणूकर महाविद्यालय विलेपार्ले येथील विद्यार्थ्यांकरिता सुप्रसिद्ध आयआरएस अधिकार समीर वानखेडे यांचे व्याख्यान आयोजित करण्यात आले होते. या व्याख्यानामध्ये समीर वानखेडे यांनी विद्यार्थ्यांना अतिशय मोलाचे मार्गदर्शन केले आणि अंमली पदार्थापासून स्वतःचे संरक्षण करणे त्याचप्रमाणे समाजात देखील त्याचा प्रादुर्भाव होणार नाही या दृष्टिकोनातून काय उपाययोजना केल्या पाहिजेत या याबाबत माहिती दिली. त्यांनी हाताळलेल्या केसेस बद्दल देखील थोडक्यात माहिती दिली. विशेषता बॉलीवूड संबंधातील केसेस बद्दल विद्यार्थ्यांमध्ये उत्सुकता होती त्या दृष्टिकोनातून त्यांनी विचारलेल्या प्रश्नाला देखील समीर वानखेडे यांनी समर्पक उत्तरे दिली. बॉलीवूडचे हिरो हे आपल्या आयुष्यातील हिरो असता कामा नये तर  ज्या महान व्यक्तींनी आपल्या देशासाठी सर्वस्व त्याग केले असे  छत्रपती शिवाजी महाराज, स्वातंत्र्यवीर सावरकर, बाजीप्रभू देशपांडे, तानाजी मालुसरे हे आपल्या जीवनामध्ये आदर्श असले पाहिजेत असे त्यांनी विद्यार्थ्यांना सांगितले. 

भारत विकास परिषद विलेपार्ले शाखा तसेच डहाणूकर महाविद्यालय या दोन्ही संस्थांनी श्री समीर वानखेडे यांचा  याप्रसंगी सत्कार केला. या कार्यक्रमासाठी पार्ले टिळक विद्यालय असोसिएशनचे ट्रस्टी श्री दिलीप पेठे आणि डहाणूकर कॉलेजचे  प्राध्यापक डॉक्टर विनय भोळे हे जातीने उपस्थित होते. 

भारत विकास परिषद विलेपार्ले शाखेचे अध्यक्ष अविनाश धर्माधिकारी यांच्या पुढाकाराने हा कार्यक्रम आयोजित केला गेला होता. भारत विकास परिषद विलेपार्ले शाखेचे सचिव संदीप पारीक, सह सचिव ललित छेडा आणि कोषाध्यक्ष प्रशांत गंगवाल हे देखील याप्रसंगी उपस्थित होते. प्रतिमा गायतोंडे यांनी कार्यक्रमाच्या सुरुवातीला संपूर्ण वंदे मातरम गीत सादर केले.

भारत विकास परिषद ही अराजकीय सामाजिक संस्था आहे आणि या संस्थेच्या संपूर्ण भारतामध्ये 1600 पेक्षा जास्त शाखा आहेत त्यापैकी विलेपार्ले ही एक शाखा आहे. या शाखेमार्फत सामाजिक उपक्रम मोठ्या प्रमाणावर राबवले जातात. सध्या समाजामध्ये अमली पदार्थाचा जो विळखा वाढत चालला आहे ते लक्षात घेता जनजागृती आणि विशेषता विद्यार्थ्यांमध्ये जनजागृती करण्याच्या दृष्टिकोनातून एक विशेष कार्यशाळा आयोजित केली आहे.‌

Monday, 10 February 2025

अजीथा नायर एजुकेशनल ट्रस्ट द्वारा रोमांचक वार्षिक खेल प्रतियोगिता का आयोजन

अजीथा नायर एजुकेशनल ट्रस्ट द्वारा रोमांचक वार्षिक खेल प्रतियोगिता का आयोजन

अजिथा नायर एजुकेशनल ट्रस्ट ने कुर्ला पश्चिम स्थित कोहिनूर टर्फ में अपने बहुप्रतीक्षित वार्षिक खेलकूद मीट 2024-2025 का सफलतापूर्वक आयोजन किया, जिसमें 250 से अधिक अभिभावकों और प्री-प्राइमरी और प्राइमरी सेक्शन के लगभग 400 छात्रों सहित 650 से अधिक उपस्थित लोगों की उत्साही भागीदारी देखी गई।

इस भव्य कार्यक्रम की शुरुआत समाजसेवी मनोज नाथानी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली और अजीथा नायर द्वारा पारंपरिक दीप प्रज्ज्वलन समारोह के साथ हुई। जिसने ऊर्जा, उत्साह और खेल भावना से भरे एक एक्शन से भरपूर दिन की शुरुआत की। राहुल नायर और सशांत नायर के नेतृत्व में यह कार्यक्रम अनुशासन, टीम वर्क और एथलेटिक उत्कृष्टता का उत्सव था।

दिन का एक मुख्य आकर्षण मार्च पास्ट और मार्शल परेड था, जिसमें छात्रों ने उल्लेखनीय तालमेल और अनुशासन का प्रदर्शन किया। नैराइट्स मंचकिंस ने अपने पोम-पोम नृत्य प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जबकि नन्हे-मुन्ने बच्चों ने मज़ेदार वार्म-अप अभ्यास और फिट योग सत्र में भाग लिया, जिसमें उन्होंने अपनी लचीलापन और उत्साह दिखाया।

खेल प्रतियोगिता में विभिन्न प्रकार की ट्रैक और फील्ड स्पर्धाएं शामिल थीं, जिनमें स्प्रिंटिंग, डिस्टेंस रनिंग, बनी रेस, पिकनिक रेस, साइड वॉक रेस, कोन कलेक्शन, हर्डल्स, वन-लेग रेस, रिले और टग ऑफ वॉर शामिल थीं। उत्साह को बढ़ाते हुए, अभिभावकों ने मनोरंजक दौड़ में सक्रिय रूप से भाग लिया, जबकि शिक्षकों की दौड़ ने कार्यक्रम को रोमांचक समापन तक पहुंचाया। सभी विजेताओं और प्रतिभागियों को खेल के प्रति उनके समर्पण और जुनून को मान्यता देते हुए प्रमाण पत्र, पदक और प्रतिष्ठित ट्रॉफी से सम्मानित किया गया।

इस मौके पर अरशद खान, अक्षिता लाड, अजय शुक्ला, रुपेश पांडे, संदीप गुप्ता, इस्माइल पठान, राजेश दाभोलकर, आशीष पटवा, सूरज पांडे विशेष मेहमान के तौर पर उपस्थित थे।

Saturday, 8 February 2025

प्रबोधन कुर्ला स्कूल का वार्षिक स्नेह संमेलन हर्षोल्लास से संपन्न

प्रबोधन कुर्ला स्कूल का वार्षिक स्नेह संमेलन हर्षोल्लास से संपन्न

प्रबोधन कुर्ला प्री-प्राइमरी, प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूल का वार्षिक स्नेह संमेलन हाल ही में कुर्ला पश्चिम स्थित राजे शिव छत्रपति खेल मैदान में बड़े उत्साह और उमंग के साथ संपन्न हुआ। इस वर्ष का विशेष आकर्षण ‘पक्षी’ थीम पर आधारित 15 रंगारंग नृत्य प्रस्तुतियाँ रहीं, जिनके माध्यम से विद्यार्थियों ने पक्षियों के संरक्षण और जागरूकता का संदेश दिया। इस शानदार आयोजन में कुल 250 विद्यार्थियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए अभिनेता संजय मोने, नीलेश गोपनारायण, कोरियोग्राफर सुभाष नकाशे, अश्विन मेश्राम, प्रेमसागर मेस्त्री, रामदास भोसले, भालचंद्र दलवी, प्रमोद मोरजकर, अजय शुक्ला, आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली, संस्था के अध्यक्ष और शिवसेना उपनेता भाऊ कोरगांवकर, ट्रस्टी शलाका कोरगांवकर, जयदीप हांडे, नीलेश कोरगांवकर, प्रधानाध्यापिका विद्या फलके और शिक्षिका विशाखा परब सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

किरण और वैशाली वावरे तथा साईनाथ और महानंदा बनसोडे को अनुकरणीय माता-पिता के रूप में सम्मानित किया गया। शिक्षकों में विभावरी शिरगांवकर (पूर्व-प्राथमिक), शुभांगी मेमाने (प्राथमिक) और सुदर्शन शिर्के (माध्यमिक) को रचनात्मक शिक्षक पुरस्कार से नवाज़ा गया। यह स्नेह संमेलन न केवल विद्यार्थियों के लिए एक मंच बना, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सार्थक संदेश भी दे गया।


Wednesday, 22 January 2025

इमरजेंसी का संघर्ष और इंदिरा गांधी

इमरजेंसी का संघर्ष और इंदिरा गांधी

कंगना रनौत का प्रदर्शन लाजबाब रहा है। कंगना ने इंदिरा गांधी का किरदार निभाया है। उनके हावभाव, वेशभूषा, और संवाद अदायगी में इंदिरा गांधी की छवि झलकती है। उन्होंने इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व के कठोर और भावनात्मक दोनों पहलुओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है।

कंगना रनौत द्वारा निर्देशित और अभिनीत फ़िल्म "इमरजेंसी" इंदिरा गांधी के जीवन और उनके कार्यकाल के एक महत्वपूर्ण दौर पर आधारित है। इंदिरा गांधी भारतीय राजनीति की एक ऐसी नेता थीं, जिनकी नेतृत्व क्षमता, साहसिक निर्णय, और राजनीतिक दूरदर्शिता ने भारत के इतिहास में गहरी छाप छोड़ी। फ़िल्म इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व, उनके राजनीतिक संघर्ष, और उस दौर के ऐतिहासिक घटनाक्रम पर आधारित है। इसमें देश में आपातकाल के दौरान की गई राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों को दिखाया गया है।

यह फ़िल्म न केवल भारतीय राजनीति के एक विवादास्पद दौर को समझने में मदद करती है, बल्कि यह दर्शाती है कि एक नेता को किस तरह कठिन परिस्थितियों में निर्णय लेने पड़ते हैं। यह एक ऐतिहासिक संदर्भ में राष्ट्रप्रेम, संघर्ष, और सत्ताधारी नीतियों का मूल्यांकन करने का अवसर देती है।

"इमरजेंसी" भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण योगदान है। कंगना रनौत का निर्देशन और अभिनय दोनों ही इस फ़िल्म को एक अलग ऊंचाई पर ले जाते हैं। यह फ़िल्म इतिहास के प्रति रुचि रखने वालों और राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले दर्शकों के लिए खास है।

इमरजेंसी फ़िल्म कंगना रनौत द्वारा निर्देशित और अभिनीत एक ऐतिहासिक-राजनीतिक ड्रामा है। यह फिल्म भारत के 1975-1977 के आपातकाल (Emergency) पर आधारित है, जो देश के इतिहास का एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद अध्याय है। इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल लागू किया था।

इंदिरा गांधी की खासियतें और कार्यशैली को बखूबी फिल्म में रेखांकित किया गया है। निर्णय लेने की गजब की क्षमता को बखूबी दिखाया है। वे कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी तुरंत और प्रभावी निर्णय लेने के लिए जानी जाती थीं। चाहे हार हो या जीत, उन्होंने कभी भी अपने फैसलों पर पछतावा नहीं किया। उनका यह जज्बा उन्हें अन्य नेताओं से अलग करता है। हाथी पर सवार होकर प्रभावित गांवों तक जाना उनकी जमीनी जुड़ाव और नेतृत्व शैली का हिस्सा था। "आधी रोटी खाएंगे, इंदिरा गांधी को जिताएंगे" जैसे नारों से यह स्पष्ट है कि जनता के दिलों में उनके लिए गहरा सम्मान था।

इंदिरा गांधी हमेशा विदेशी नीतियों पर दो-टूक और निर्भीक जवाब दिए, जिससे भारत की स्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत हुई। बांग्लादेश निर्माण में सेना को प्रोत्साहन देना उनकी दृढ़ता का उदाहरण है। युद्ध के समय वे सैनिकों के बीच जाकर उनका उत्साह बढ़ाती थीं, जिससे उनका मनोबल ऊंचा होता था।

जयप्रकाश नारायण का किरदार दिलचस्प है। विपक्षी नेताओं और आम जनता पर हुए अत्याचारों, सेंसरशिप, और गिरफ्तारी जैसे मुद्दों को उजागर किया गया है। जब इंदिरा गांधी को इमरजेंसी हटाने के बाद राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ा और जनता पार्टी सत्ता में आई, तो इंदिरा गांधी को जेल जाना पड़ा। जेल से छूटने के बाद, इंदिरा गांधी ने जयप्रकाश नारायण से जाकर माफी मांगी। यह कदम उनकी ओर से व्यक्तिगत और राजनीतिक दोनों पहलू दिखाता है। संभवतः यह उनके पश्चाताप और भविष्य में नए सिरे से शुरुआत करने का संकेत था। इस घटना को कई लोग इंदिरा गांधी के राजनीतिक दृष्टिकोण में बदलाव और आत्ममंथन के रूप में देखते हैं। हालांकि, उनके इस कदम को लेकर विभिन्न राय हैं, लेकिन यह उनके व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण पक्ष उजागर करता है।


संजय गांधी का इमरजेंसी के दौर में राजनीतिक हस्तक्षेप और उनकी भूमिका हमेशा चर्चा का विषय रही है। इंदिरा गांधी के बड़े बेटे संजय गांधी ने इमरजेंसी के दौरान सरकार की कई नीतियों और योजनाओं को लागू करने में सक्रिय भूमिका निभाई। संजय गांधी ने इमरजेंसी के दौरान नसबंदी अभियान, झुग्गियों का पुनर्वास और शहरी विकास जैसे विषयों में अपनी मजबूत पकड़ बनाई। संजय गांधी सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों के निर्णयों में दखल देते थे। कई बार यह उनकी राजनीतिक शक्ति और महत्वाकांक्षा को भी दर्शाता था।


फ़िल्म "इमरजेंसी" में इंदिरा गांधी के जीवन के विभिन्न भावनात्मक और ऐतिहासिक पलों को दिखाने की कोशिश की गई है। इनमें उनकी अस्थियों को हिमालय की पर्वतों के बीच छिड़कने का दृश्य न केवल उनके व्यक्तित्व की महानता को दर्शाता है, बल्कि भारतीय संस्कृति और राष्ट्रप्रेम की गहराई को भी उकेरता है। हिमालय इंदिरा गांधी के लिए केवल एक पर्वत शृंखला नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक था। उनके जीवन और विचारधारा में प्रकृति और भारत की पवित्रता का गहरा जुड़ाव था। अस्थियों को हिमालय में छिड़कना उनके प्रति भारतीय जनता की श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है। यह दृश्य एक ओर उनके निधन के बाद के शोक को व्यक्त करता है, तो दूसरी ओर उनके विचारों और कृत्यों की गूंज को अमर बना देता है।


जब अंतरिक्ष स्टेशन से राकेश शर्मा ने इंदिरा गांधी को फोन किया तो भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूछा कि वहां से हमारा हिंदुस्तान कैसा नजर आता है, इसके जवाब में शर्मा ने कहा, 'सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा' यह देशभक्ति और भावना से ओत-प्रोत है। यह जवाब न केवल भारत के प्रति प्रेम को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत की विविधता और सुंदरता कितनी अद्वितीय है। इंदिरा गांधी के इस संवाद से उनके राष्ट्रप्रेम और संवेदनशील दृष्टिकोण की झलक मिलती है। इस तरह के दृश्य न केवल दर्शकों को इंदिरा गांधी के जीवन और उनकी सोच के करीब लाते हैं, बल्कि भारतीयता और देशभक्ति का गहरा संदेश भी देते हैं। यह फ़िल्म का एक ऐसा हिस्सा है जो हर भारतीय के दिल को छू सकता है।

यह फ़िल्म सिर्फ एक ऐतिहासिक घटना को नहीं दिखाती, बल्कि इंदिरा गांधी के उस मजबूत व्यक्तित्व को भी सामने लाती है जिसने देश के कई संकटों का सामना किया। कंगना रनौत ने इस फ़िल्म में उनके व्यक्तित्व को समझने और प्रस्तुत करने की कोशिश की है। यह फ़िल्म न केवल भारतीय राजनीति के छात्रों के लिए बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो नेतृत्व और साहस के महत्व को समझते हैं।


अनिल गलगली
वरिष्ठ पत्रकार एवं आरटीआई कार्यकर्ता

Tuesday, 21 January 2025

1274.80 crores significant increase in construction cost of Mumbai Metro Line- 4 Wadala - Kasarwadvali

1274.80 crores significant increase in construction cost of Mumbai Metro Line- 4 Wadala - Kasarwadvali

A whopping Rs 1274.80 crore increase in construction cost and 5-year project delay in the Mumbai Metro Route-4 (Wadala - Kasarwadvali) project is a major setback for Mumbai's development.This information disclosed by RTI Activist Anil Galgali through RTI has highlighted the laxity of MMRDA's Metro Administration and lack of project management.

RTI Activist Anil Galgali had sought various information from the Metro Project Implementation Branch. Metro Project Implementation Branch gave detailed information to Anil Galgali.The work of Mumbai Metro Line- 4 Wadala - Kasarvadavali was awarded to RInfra-ASTALDI and CHEC-TPL on 12 April 2018. Wadala to Kasarvadvali Metro Route 4 is an elevated route of 32.32 km length. There are total 30 stations in this route. The work was expected to be completed by July 2011. Now the new deadline is August 2026.

Lack of penal action:

Anil Galgali has demanded punitive action due to cost overrun of the project and non-completion of work on time. The expected construction cost of the Mumbai Metro Line-4 Wadala - Kasarwadawali project was 2632.25 crores for construction works. Now there has been a significant increase of 1274.80 crores. Considering the cost escalation and 5 years delay, penal action can be taken but unfortunately no penal action has been taken yet.

The route will provide interconnectivity between the existing Eastern Express Roadway, Central Railway, Monorail, existing Metro Route 2B (DN Nagar to Mandale), Metro Route 5 (Thane to Kalyan), Metro Route 6 (Swami Samarthnagar to Vikhroli). However, Anil Galgali has expressed the opinion that the delay in such an important project is dangerous for the service of Mumbaikars. Galgali has demanded that the government and MMRDA be held accountable for the increase in expenditure.

मुंबई मेट्रो लाइन- 4 वडाला-कासारवडवली की निर्माण लागत में 1274.80 करोड़ रुपये की उल्लेखनीय वृद्धि

मुंबई मेट्रो लाइन- 4 वडाला-कासारवडवली की निर्माण लागत में 1274.80 करोड़ रुपये की उल्लेखनीय वृद्धि

मुंबई मेट्रो रूट-4 (वडाला-कासारवडवली) परियोजना के निर्माण में 1274.80 करोड़ रुपये की भारी वृद्धि और 5 साल की देरी मुंबई के विकास के लिए एक बड़ा झटका है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली द्वारा आरटीआई के माध्यम से बताई गई इस जानकारी ने एमएमआरडीए के मेट्रो प्रशासन की ढिलाई और परियोजना प्रबंधन की कमी को उजागर किया है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मेट्रो परियोजना कार्यान्वयन शाखा से विभिन्न जानकारी मांगी थी। मेट्रो परियोजना कार्यान्वयन शाखा ने अनिल गलगली को विस्तार से जानकारी दी। मुंबई मेट्रो लाइन- 4 वडाला-कासारवडावली का काम 12 अप्रैल 2018 को RInfra-ASTALDI और CHEC-TPL को सौंपा गया था। वडाला से कासारवडवली मेट्रो रूट 4 यह 32.32 किमी लंबा एलिवेटेड रूट है। इस रूट पर कुल 30 स्टेशन हैं। काम जुलाई 2021 तक पूरा होने की उम्मीद थी। अब नई डेडलाइन अगस्त 2026 है।

दंडात्मक कार्रवाई का अभाव:

अनिल गलगली ने परियोजना की लागत बढ़ने और समय पर काम पूरा नहीं होने के कारण दंडात्मक कार्रवाई की मांग की है। मुंबई मेट्रो लाइन-4 वडाला-कासारवडावली परियोजना की निर्माण की अपेक्षित लागत 2632.25 करोड़ थी। अब इसमें 1274.80 करोड़ की उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। लागत में वृद्धि और 5 साल की देरी को देखते हुए दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है लेकिन दुर्भाग्य से अभी तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई है।

यह रूट मौजूदा ईस्टर्न एक्सप्रेस रोडवे, सेंट्रल रेलवे, मोनोरेल, मौजूदा मेट्रो रूट 2बी (डीएन नगर से मंडाले), मेट्रो रूट 5 (ठाणे से कल्याण), मेट्रो रूट 6 (स्वामी समर्थनगर से विक्रोली) के बीच इंटरकनेक्टिविटी प्रदान करेगा। हालाँकि, अनिल गलगली ने राय व्यक्त की है कि इतने महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में देरी मुंबईकरों की सेवा के लिए खतरनाक है। गलगली ने मांग की है कि खर्च में बढ़ोतरी के लिए सरकार और एमएमआरडीए को जिम्मेदारी निश्चित की जाए।