समय पर परीक्षा का परिणाम घोषित करने में शतप्रतिशत फेक हुए मुंबई विद्यापीठ ने सिनेट चुनाव में हुए पंजीकरण का 50 हजार का शुल्क हड़पने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी गई हैं। मुंबई विद्यापीठ ने पंजीकरण करने के बाद ही सिनेट का चुनाव राज्य सरकार ने रद्द कर दिए थी।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई विद्यापीठ से मुंबई विद्यापीठ की अधिसभा के चुनाव के लिए वर्ष 2015 में ग्रेजुएट के मतदाता लिस्ट में नाम पंजीकरण अंतर्गत प्राप्त हुए आवेदन और कुल शुल्क की जानकारी मांगी थी। मुंबई विद्यापीठ के उपकुलसचिव ( चुनाव विभाग) रविंद्र सालवे ने अनिल गलगली को बताया कि आवेदन 'अ' के अंतर्गत 2521 औऱ 'ब' के अंतर्गत 2492 ऐसे कुल 5013 आवेदन प्राप्त हुए थे। मुंबई विद्यापीठ की अधिसभा पर 10 पंजीकृत सीटों पर सिनेट चुनाव न होने से जमा किया गया शुल्क वापस लौटाया नहीं गया। आवेदन 'अ' यह नए मतदाताओं के लिए था और उसका शुल्क यह 20 रुपए था वहीं आवेदन 'ब' यह पुराने मतदाताओं के लिए होने से उसका किसी भी तरह का शुल्क नहीं था। इस मामले में मुंबई विद्यापीठ के वित्त व लेखा विभाग ने गलगली को बताया कि जुलाई 2015 को 6,820 रुपये, अगस्त 2015 को 43,480 रुपए और सितंबर 2015 को 120 रुपए, ऐसे कुल 50,420 रुपए प्राप्त हुए थे।
अनिल गलगली के अनुसार सिनेट चुनाव रद्द होते हुए भी मुंबई विद्यापीठ ने आज तक उन मतदाताओं को उनका शुल्क लौटाया नहीं हैं और अपरोक्ष तौर पर चुनाव के नाम पर प्राप्त हुई पंजीकरण शुल्क हड़पने जैसा ही हैं। इसलिए उस शुल्क को हर एक ग्रेजुएट को ब्याज के सहित देने की मांग गलगली ने राज्यपाल विद्यासागर राव के अलावा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, शिक्षा मंत्री विनोद तावडे, शिक्षा राज्यमंत्री रविंद्र वायकर को भेजे हुए पत्र में की हैं।
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