मुंबई की झोपडपट्टी का उद्धार करने के लिए गठित की गई झोपडपट्टी पुनर्वास प्राधिकरण को अब उसके ही उद्धार की जरुरत हैं। झोपडपट्टी पुनर्वास प्राधिकरण में कार्यरत 403 अधिकारी और चौकानेवाली जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को झोपडपट्टी पुनर्वास प्राधिकरण ने दी हैं। जिम्मेदारी और सक्षमता के अभाव में इसका प्रभाव मुंबई की झोपडपट्टी पुनर्वास योजनाओं पर होने से कई योजनाएं ठप्प हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने झोपडपट्टी पुनर्वास प्राधिकरण से झोपडपट्टी पुनर्वास प्राधिकरण में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारियों की जानकारी मांगी दर। झोपडपट्टी पुनर्वास प्राधिकरण ने अनिल गलगली को सरकार नियुक्त के अलावा ठेके पर और सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों की लिस्ट दी। इसमें झोपडपट्टी पुनर्वास प्राधिकरण कार्यालय मुंबई के लिए आकृतीबंध के अनुसार 99 पद मंजूर हैं जिसमें से 36 पद रिक्त हैं । इसमें 1 विधी सलाहकार , 1 अवर सचिव, 5 नायब तहसीलदार वहीं दुय्यम अभियंता की 18 पद रिक्त हैं। प्रतिनियुक्ती पर 73 अधिकारी और कर्मचारी हैं। इसके शिवाय ईगल सिक्युरिटी अँड पर्सनल सर्विसेस के 75 क्लर्क हैं। ईगल सिक्युरिटी अँड पर्सनल सर्विसेस के 38 प्यून हैं। झोपडपट्टी पुनर्वास प्राधिकरण ने 98 क्लर्क और प्यून ठेके पर हैं। इसमें सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या 54 हैं। कुल 54 में से 3 मुख्य विधी सलाहकार, 1 मुख्य समन्वयक , 1 उपजिलाधिकारी,9 नायब तहसीलदार, 1 जनसंपर्क अधिकारी, 1 शिकायत निवारण अधिकारी, 2 जिलाधिकारी भूमी लेख, 2 उपलेखापाल, 13 भूमापक इन पदों पर कार्यरत हैं।
अनिल गलगली के अनुसार किसी भी अधिकारी की जिम्मेदारी तय नहीं होने से झोपडपट्टी पुनर्वास प्राधिकरण यह विकासक पुनर्वास प्राधिकरण बन चुका हैं। मुख्य कार्यकारी अधिकारी यह पद भी विवादित और बदनाम हुआ हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखे पत्र में अनिल गलगली ने बाहरी अधिकारी और कर्मचारियों के बजाय सरकारी अधिकारी और कर्मचारी को वरियता देने की मांग की हैं। ऐसे में पुनर्वास योजनाओं में होने वाली लेटलतीफी और देरी के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की जिम्म्मेदारी निश्चित करने की मांग की हैं।
No comments:
Post a Comment