देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में ध्यान-साधना के साथ नवशैक्षणिक सत्र का शुभारंभ
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय (देसंविवि), शांतिकुंज में नवप्रवेशी विद्यार्थियों ने नवीन शैक्षणिक सत्र का आरंभ आध्यात्मिक वातावरण में ध्यान-साधना के माध्यम से किया। विश्वविद्यालय की परंपरा के अनुरूप भारत व नेपाल सहित विभिन्न देशों से आए सैकड़ों विद्यार्थियों ने युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य एवं वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा जी की पावन समाधि स्थल पर सामूहिक ध्यान में भाग लिया।
इस अवसर पर विद्यार्थियों ने ‘ज्योति अवधारण साधना’ के माध्यम से आत्मचिंतन और आंतरिक अनुशासन की दिशा में अपने पहले कदम बढ़ाए। देसंविवि में अद्वितीय पाठ्यक्रमों के साथ-साथ जीवन मूल्यों और आध्यात्मिक संस्कारों पर बल दिए जाने के कारण यह संस्था आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बनती जा रही है।
शांतिकुंज व्यवस्थापक योगेन्द्र गिरि ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रहे, बल्कि उसमें नैतिकता, आत्मविकास और सामाजिक उत्तरदायित्व का समावेश भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि देसंविवि शिक्षा के साथ संस्कारों को भी समाहित करता है, जिससे विद्यार्थी एक संपूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण कर सकें।
उन्होंने युग निर्माण सत्संकल्प के 18 सूत्रों की चर्चा करते हुए विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे अपने जीवन के अभीष्ट लक्ष्य को सदैव स्मरण में रखें। इस अवसर पर उदय किशोर मिश्रा, सौरभ मिश्रा आदि वक्ताओं ने भी युवाओं का मार्गदर्शन किया।
शैक्षणिक सत्र की इस आध्यात्मिक शुरुआत से विद्यार्थियों में उत्साह, आत्मविश्वास और एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार देखने को मिला। उल्लेखनीय है कि देसंविवि के कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी स्वयं समय-समय पर कक्षाएं लेकर ‘जीवन प्रबंधन’, ‘गीता’, ‘रामचरितमानस’ आदि विषयों के माध्यम से विद्यार्थियों को जीवन के नवीन दृष्टिकोण प्रदान करते हैं।
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