Friday, 16 February 2018

मेडिकल वीजा की जानकारी देने से भारत और पाकिस्तान के संबंध बिगड़ेंगे

पाकिस्तान और भारत के बीच आपसी संबंध अत्याधिक बिगड़ने से गत साल के मई महीने में विदेश मंत्रालय ने नई पॉलिसी की घोषणा करते हुए भारत में इलाज लेने के लिए पाकिस्तानी नागरिकों को तब मेडिकल वीजा दिया जाएगा जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री के सलाहकार सरताज अज़ीज़ की सिफारिश होगी। लेकिन आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दिए हुए जबाब से एक ही सवाल पूछा जा रहा हैं कि भारत या पाकिस्तान इस पॉलिसी का अनुपालन कर रही हैं या नहीं। भारतीय उच्चायोग, इस्लामाबाद ने गलगली द्वारा मांगी हुई जानकारी ख़ारिज करते हुए विचित्र तर्क दिया कि मेडिकल वीजा की जानकारी देने पर भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी संबंध बिगड़ेंगे।

15 नवंबर 2017 को मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने विदेश मंत्रालय को 2 सवालों की जानकारी मांगी थी। इसमें 10 मई 2017 से 1 दिसंबर 2017 के दौरान कितने पाकिस्तानी नागरिकों को मेडिकल वीजा दिया गया और इसमें से कितने को पाकिस्तान के विदेश मंत्री के सलाहकार सरताज अज़ीज़ की सिफारिश थी।  दूसरे सवाल  में मौजूदा वीजा पॉलिसी में बदलाव की जानकारी मांगी थी। विदेश मंत्रालय ने हस्तांतरित किए अनिल गलगली के आवेदन पर जबाब देते हुए गृह मंत्रालय के विदेश विभाग ने बताया कि 380 पाकिस्तानी नागरिकों मेडिकल वीजा दिया गया हैं। वहीं दूसरे सवाल पर भारत सरकार ने सरकारी पॉलिसी में किसी भी तरह का बदलाव न करने की जानकारी दी। अज़ीज़ की सिफारिश पर कितने को मेडिकल वीजा दिया गया इसपर मौन साधा गया। गलगली ने प्रथम अपील दायर करते ही उनका आवेदन भारतीय उच्चायोग, इस्लामाबाद को हस्तांतरित किया गया। भारतीय उच्चायोग, इस्लामाबाद में द्वितीय राजकीय सचिव अविनाश कुमार सिंह ने अनिल गलगली की जानकारी को ख़ारिज करते हुए विचित्र तर्क दिया कि मेडिकल वीजा की जानकारी सार्वजनिक करने से भारत और पाकिस्तान के आपसी संबंध बिगड़ेंगे। 

मैने सिर्फ सिफारिश की जानकारी मांगी थी और उससे भारत और पाकिस्तान के आपसी संबंध कैसे बिगड़ेंगे? क्योंकि पॉलिसी सरकार ने खुद बनाई हैं, ऐसा सवाल करते हुए अनिल गलगली ने इन आंकडों को सरकार को खुद ब खुद सार्वजनिक करने की अपील सरकार से की हैं। भारत सरकार ने जिस पॉलिसी की घोषणा की हैं उसका अनुपालन पाकिस्ता ने नकारने से ही भारत सरकार जानकारी नहीं दे रही हैं।  पाकिस्तान और भारत के संबंध कभी भी सौहार्द के नहीं थे। इसलिए इस जानकारी से संबंध बिगड़ेंगे, यह तर्क हास्यापद होने की बात अनिल गलगली ने कही हैं।

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